पंजाब में धान बेचने की अनुमति ना मिलने से परेशान हिमाचल के हजारों किसान, कृषी बिल लागू होते तो नहीं होती ये दिक्कत

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पंजाब में धान बेचने की अनुमति ना मिलने से परेशान हिमाचल के हजारों किसान, कृषी बिल लागू होते तो नहीं होती ये दिक्कत

 कृषि बिल रद्द होने की वजह से हिमाचल से आकर पंजाब की मंडियों में अपनी फसलें बेचने वाले लाखों किसानों पर गाज पड़ी है। पंजाब सरकार ने किसी भी दूसरे राज्य से आने वाले किसानों की फसल को यहां की मंडियों में खरीदने बेचने पर रोक लगा दी  है।

पंजाब सरकार के इस फैसले के बाद से ही कांगड़ा जिले के इंदौरा अनुमंडल के मांड क्षेत्र के हजारों किसान परेशान हैं। मांड क्षेत्र के किसान हर साल अपनी धान की फसल पंजाब की मंडियों में बेचते थे, लेकिन इस बार पंजाब सरकार ने इनकी एंट्री रोक दी है। 

दर-दर भटकने को मजबूर हुए हिमाचल के किसान 

इंदौरा के किसान लगातार अपनी  पकी फसल को कहां बेचें ये सवाल उनके लिए बड़ी मुसीबत बन चुका है। वो इधर उधर अपनी फसलों को बेचने के लिए कोई दूसरा विकल्प ढूढ़ रहे हैं। मांड क्षेत्र में लगभग 2,500 हेक्टेयर में धान का उत्पादन होता है, यहां गन्ने की फसल के अलावा गेहूं, मक्का और धान की फसलें होती है।

भारतीय खाद्य निगम (FCI) ने पहली बार कांगड़ा जिले के दो केंद्रों ठाकुरद्वारा और फतेहपुर में गेहूं की खरीद शुरू की थी। किसान इन केंद्रों पर अपनी गेहूं की उपज 15 जून तक अधिकतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर बेच रहे थे। पंजाब की सीमा से लगे मांड क्षेत्र के किसान पहले होशियारपुर जिले के मुकेरियां में एफसीआई केंद्रों पर अपनी धान की फसल बेचते थे। लेकिन इस साल पंजाब सरकार ने दूसरे राज्यों के किसानों की फसल खरीदने से मना कर दिया था।

कांगड़ा की कृषि उत्पाद विपणन समिति के सचिव राज कुमार भारद्वाज ने पंजाब सरकार की दूसरे राज्यों के किसानों की फसल ना खरीदने की बात पर चिंता जताई। राज कुमार भारद्वाज ने कहा कि एपीएमसी स्थानीय किसानों के साथ सबसे उपयुक्त स्थान के बारे में बातचीत करने के बाद अगले फसल कटाई के मौसम से पहले मांड क्षेत्र में एक खरीद केंद्र स्थापित करने की पूरी कोशिश करेगी। उन्होंने आगे कहा कि कृषि विभाग हिमाचल प्रदेश के इंदौरा में एक अनाज मंडी का निर्माण कर रहा है, जिसकी आधारशिला इस साल की शुरुआत में रखी गई थी।

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