एजेंसी। पीएम मोदी को लिखे हुए नफरत की राजनीति पर 108 पूर्व नौकरशाहों के खुले हुए पत्र का पूर्व जजों, नौकशाहों और रिटायर्ड सेना ने अधिकारियों एक समूह को जवाब दिया है। उन्होंने ये कहा है कि खत का उद्देश्य पक्षपातपूर्ण था।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे हुए 108 पूर्व नौकरशाहों के खुले पत्र का पूर्व जजों, नौकशाहों और रिटायर्ड सेना ने अधिकारियों एक समूह ने जवाब को दिया है। उन्होंने अपने जवाब में ये कहा है कि पीएम को लिखे हुए खत का उद्देश्य पक्षपातपूर्व था। गौरतलब ये है कि कुछ दिन पहले ही 108 पूर्व नौकरशाहों के संवैधानिक आचरण समूह ने पीएम को लिखे हुए खत में नफरत की राजनीति का भी उल्लेख किया था और आरोप ये लगाया था कि भाजपा सरकारों द्वारा ही आम लोगों में विद्वेष भी फैलाया जा रहा है। अपने पत्र में पूर्व नौकरशाहों ने इसमें पीएम मोदी पर भी आरोप को लगाए थे। साथ ही साथ इसे तुरंत बंद करने की भी मांग की थी।
समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक में, देश के आठ पूर्व न्यायाधीशों, 97 सेवानिवृत्त नौकरशाहों और 92 सशस्त्र बलों के रिटायर अधिकारियों ने भी हस्ताक्षरित पत्र में सीसीजी के पत्र के खिलाफ में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक खुला पत्र भी लिखा है। पूर्व न्यायाधीशों और नौकरशाहों के कुल 197 हस्ताक्षरकर्ताओं के समूह ने भी अन्य पूर्व नौकरशाहों के समूह को प्रत्युत्तर जारी भी किया है, जिसने प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी को एक खुले हुए पत्र में “नफरत की राजनीति” के बारे में चिंता तक व्यक्त की गई थी। जिसमें जनता की राय को भी प्रभावित करने की कोशिश करने और इसमें शामिल होने का भी आरोप को लगाया था। इस बार इस नए समूह ने भी खुद को ‘चिंतित नागरिक’ बताते हुए ये आरोप लगाया था कि सीसीजी द्वारा पीएम मोदी को लिखे गए पत्र की भाषा ठीक नहीं थी।