उत्तराखंड क्रांति दल के निशाने पर भगवा भाजपा तीरथ सरकार, देवस्थानम बोर्ड को लेकर राजनीति गर्माई, भंग करने की मांग

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हिन्दुत्व की रक्षा के नाम पर देशभर में मोदीजी की जय जय कार हो रही है तो, उत्तराखंड में भगवा धारी भारतीय जनता पार्टी ही मंदिरों के अधिगृहण के नाम पर सवालों में घिरती जा रही है। उत्तराखंड क्रांति दल के केंद्रीय अध्यक्ष दिवाकर भट्ट ने भाजपा सरकार को देवस्थानम बोर्ड के जरिए मंदिरों के अधिगृहण के मामले में वार किया है। और देवस्थानम बोर्ड को को अविलम्ब भंग करने की मांग की है।

पुजारियों की रोटी रोटी और पुश्तैनी काम पर वार क्यों ?

भट्ट ने कहा कि उत्तराखंड में धार्मिक अनुष्ठानों और पूजा अर्चना की परम्परा आदिकाल से स्थानीय पुजारी करते आये हैं। इसी से इन लोगों को रोजगार मिलता था। लेकिन राज्य सरकार देवस्थानम बोर्ड को बनाकर स्थानीय पुजारियों के हक-हकूक पर डाका डालकर बोर्ड को पूंजीपतियों के हवाले करने की साजिश रच रहा है। जिसका पुरजोर विरोध किया जाएगा।

उत्तराखंडियों की धार्मिक भावना ने ना हो खिलवाड़

भट्ट ने आरोप लगाया कि उत्तराखंड की तीरथ रावत वाली भाजपा सरकार पर उत्तराखंड के मूल निवासियों की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचा रही है। यूकेडी ने स्पष्ट चेतावनी है देते हुए देवस्थानम बोर्ड को बिना किसी देरी के निरस्त और भंग करने की मांग उठाई है। जिससे कि मंदिरों, सनातन धर्म के धामों में स्थानीय पंडो और पुजारियों के हक के साथ किसी भी छेड़खानी को रोका जा सके। भट्ट ने चेतावनी में तीरथ रावत सरकार को ऐसा न करने पर बुरे परिणामों की भी बात बोल दी।

मंदिरों के साथ भाजपा सरकार पर कई और भी वार

भट्ट ने कहा कि कोरोनाकाल में राज्य सरकार हर तरह से असफल रही है। महंगाई, बेरोजगारी का बढ़ना आमजन के लिये बुरा रहा है। कांस्टेबलों के वेतन और राज्य की अर्थव्यवस्था पर भी उन्होंने चिंता व्यक्त की।

आपको बता दें कि देवस्थानम बोर्ड शुरुआत से ही सवालों के घेरे में है, उत्तराखंड की भाजपा सरकार जहां मंदिरों की अच्छी देखरेख के नाम पर उनका अधिगृहण कर रही है, वहीं दूसरी ओर सवाल दानपात्रों को लेकर भी उठाए जा रहे हैं कई जगहों पर तो ऐसे हालात हो चुके हैं कि मंदिर में सरकारी दानपात्र रखने के बाद सरकार को हटवाने पड़े।

जाहिर है कि विधानसभा चुनावों में मंदिरों के अधिगृहण का मुद्दा छाया रहने वाला है और ये कहीं ना कहीं भाजपा के धार्मिक और खासतौर से ब्राह्मण वोटबैंक पर भी सवाल उठाता है। शायद ये भी एक वजह है कि चाहे आप हो या उत्तराखंड क्रांति दल कोई भी इस मुद्दे को छोड़ने को तैयार नहीं है।