कर्नाटक की किताबों में अंबेडकर, नेहरू की वापसी; कांग्रेस सरकार ने हेडगेवार और सावरकर से जुड़े अध्याय हटाए

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कर्नाटक की नई सरकार ने ताबड़तोड़ फैसले लेने शुरू कर दिए हैं. कांग्रेस सरकार ने 15 जून को स्कूली पाठ्यक्रम में एक बड़े बदलाव को मंजूरी दे दी. राज्य कैबिनेट ने स्कूलों में कन्नड़ और सामाजिक विज्ञान की किताबों से आरएसएस के संस्थापक केशव बलिराम हेडगेवार और दामोदर सावरकर के चैप्टर हटाने का फैसला लिया है. इनकी जगह जवाहरलाल नेहरू, बीआर अंबेडकर, सावित्रीबाई फुले, चक्रवर्ती सुलिबेले और इंदिरा गांधी को सिलेबस में जोड़ा जाएगा. इसके अलावा स्कूलों में संविधान की प्रस्तावना को अनिवार्य कर दिया गया है. इस बदलाव के लिए सरकार विधानसभा के आगामी सत्र में एक प्रस्ताव लेकर आएगी. कर्नाटक विधानसभा सत्र तीन जुलाई से शुरू हो रहा है।

कर्नाटक के शिक्षा मंत्री मधु बंगारप्पा का कहना है, केबी हेडगेवार का चैप्टर सिलेबस से हटेगा. पिछली (BJP) सरकार ने पिछले साल पाठ्यक्रमों में जो भी बदलाव किए थे. हमने उन्हें बदल दिया है और पिछले साल के पाठ्यक्रम को रिस्टोर किया है।

शिक्षा मंत्री ने आगे कहा कि कैबिनेट ने सर्वसम्मति से कक्षा छह से दस तक की कक्षाओं में कन्नड़ और सामाजिक विज्ञान की टेक्स्ट बुकों में संशोधन को मंजूरी दी है. जो चैप्टर जोड़े जा रहे हैं, उन्हें फिलहाल सप्लीमेंट्री तौर पढ़ाया जाएगा, 15 पेज की एक बुक अलग से पब्लिश करवाकर स्कूलों में भेजी जाएगी. मंत्री के मुताबिक ऐसा इसलिए क्योंकि इस साल की बुक्स पहले ही बच्चों को मिल चुकी हैं. शिक्षा मंत्री मधु बंगारप्पा ने ये भी कहा कि इस काम में लगभग 10 से 12 लाख रुपये की लागत आएगी और दस दिनों के भीतर स्टूडेंट्स को ये बुक्स उपलब्ध करा दी जाएंगी।

इस दौरान कर्नाटक के कानून मंत्री एचके पाटिल ने बताया कि कैबिनेट ने स्कूलों और कॉलेजों में गाए जाने वाली नियमित प्रार्थनाओं में संविधान की प्रस्तावना को पढ़ा जाना अनिवार्य कर दिया है।

बता दें कि हाल ही में हुए कर्नाटक चुनाव में कांग्रेस ने वादा किया था कि वो भाजपा के सत्ता में रहने के दौरान स्कूली पाठ्यपुस्तकों में किए गए बदलावों को हटाकर पुराना पाठ्यक्रम लागू करेगी।

धर्मांतरण विरोधी कानून रद्द

कर्नाटक के कानून एवं संसदीय मामलों के मंत्री एचके पाटिल ने कैबिनेट बैठक के बाद कहा कि कैबिनेट में धर्मांतरण विरोधी कानून पर चर्चा हुई. सरकार ने 2022 में बीजेपी सरकार द्वारा लाए गए इस बिल को रद्द करने का फैसला किया है।

कर्नाटक धर्मांतरण विरोधी कानून 2022 को कांग्रेस के विरोध के बावजूद बीजेपी सरकार ने लागू किया था. इस कानून के तहत एक धर्म से दूसरे धर्म में जबरन, किसी के प्रभाव में या बहलाकर धर्म परिवर्तन कराना गैरकानूनी बताया गया है. तीन से पांच साल की कैद और 25000 रुपये जुर्माने का प्रावधान किया गया है।

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इस कानून के तहत धर्म परिवर्तन कराने वाले शख्स पर पांच लाख रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा. सामूहिक तौर पर धर्म परिवर्तन के लिए तीन से दस साल तक की कैद और एक लाख रुपये जुर्माने का प्रावधान है. यह भी कहा गया कि कोई भी शादी जो धर्म परिवर्तन के इरादे से ही की गई है, उसे फैमिली कोर्ट द्वारा अवैध मान जाएगा. कानून में इसे गैरजमानती अपराध माना गया है।