जेनेरिक दवाओं के मामले में सरकार को पिछले 6 साल में मिली बड़ी सफलता

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  जेनेरिक दवाओं के मामले को लेकर हमारे देश में सरकार को बड़ी सफलता मिलती दिखाई दे रही है। बताया जा रहा है कि साल 2008 से लेकर अब तक घाटे में चल रहा जेनेरिक दवाओं का कारोबार पहली बार 22 करोड़ रुपये के मुनाफे पर पहुंचा है। महज 6 साल के भीतर सरकार को जेनेरिक दवाओं पर बंपर कमाई हुई है। जेनेरिक दवाओं में हो रहे रिकॉर्ड स्तर के फायदे को जानने के लिए शुक्रवार को केंद्रीय मंत्री सदानंद गौड़ा ने उच्चाधिकारियों की बैठक भी बुलाई है।
प्रधानमंत्री जनऔषधि परियोजना के तहत अब तक देश में 668 जिलों में 5300 जनऔषधि केंद्र खोले जा चुके हैं, जहां करीब 900 तरह की दवाएं उपलब्ध हैं। बृहस्पतिवार को केंद्रीय राज्यमंत्री मनसुख मंडाविया की बैठक में परियोजना से जुड़ीं ये अहम जानकारी मिली। हालांकि, बैठक के दौरान दवाओं की कमी को लेकर भी सवाल उठे, जिसे लेकर नई सरकार अगले 100 दिन के भीतर नई दिशा देने जा रही है।

प्रधानमंत्री जनऔषधि परियोजना के तहत जेनेरिक दवाओं की जिम्मेदारी संभाल रही बीपीपीआई का सालाना टर्नओवर लगातार ऊंचाइयों पर पहुंच रहा है। साल 2008 में इसकी शुरूआत हुई थी, जिसके बाद से लगातार प्रत्येक वर्ष इसे करीब 10 से 12 करोड़ रुपये तक का घाटा हो रहा था।

परियोजना के सीईओ सचिन कुमार सिंह ने बताया कि पिछले 10 वर्षों से जेनेरिक लगातार करोड़ों रुपये के घाटे में चल रही थी, जोकि अब पहली बार रिकॉर्ड 22 करोड़ रुपये के मुनाफे पर पहुंच गई है। इसी साल मार्च तक 315 करोड़ रुपये का जेनेरिक दवाओं का टर्नओवर दर्ज किया है, जबकि 2013-14 में ये टर्नओवर महज 4 करोड़ 33 लाख रुपये था।

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