सोशल मीडिया से जज हुए परेशान, कैसे निकले अफवाह रोकने का समाधान

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Social media पर Judiciary को लेकर फैलाई जा रही भ्रामक खबरों से परेशान जजों ने की मुख्य न्यायधीश को शिकायत

नई दिल्ली- सोशल मीडिया पर अक्सर लोग बिना सोचे समझे कोई भी पोस्ट शेयर कर देते हैं चाहे वो कोई सेंसिटिव खबर हो या, कोई पुलिस या हमारी न्यायपालिका से संबंधित कोई खबर. ये पोस्ट झूठी है या सही, इस बारे में एक बार भी नहीं सोचते. अगर ये गलत हुई तो आगे इसके क्या परिणाम हो सकते हैं ये भी नहीं सोचते. खबर कोई भी हो उसका सही या गलत जाने बिना उसे वायरल करना या उसके बारे में कमेंट करना गलत है. खासकर हमारी न्यायपालिका के बारे में अक्सर लोग बिना सोचे समझे जो भी सोशल मीडिया पर आता है लोग आगे फोरवड कर देते हैं और उस पर भरोसा कर लेते है. ये खतरनाक है. इससे हमारी न्यायपालिका जो हमारे लोकतंत्र का महत्तवपूर्ण स्तंभ है उसकी छवि को नुकसान पहुंच सकता है. ऐसी ही कुछ खबरों को देखते हुए कुछ रिटायर्ड जजों ने सुप्रीम कोर्ट में इसकी चिंता जताई है.

सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट से रिटायर्ड इन 21 माननीय जजों ने Chief Justice of India (CJI) Dy Chandrachud को पत्र लिखा. इन्होंने लिखा है कि कुछ लोग सोशल मीडिया के जरिये न्यायपालिका को कमजोर दिखाना चाहते हैं. न्यायपालिका पर जनता के भरोसे को कमजोर करना चाहते हैं. आगे माननीय इन रिटायर्ड जजों ने अपने पत्र में लिखा है कि हम विशेष रूप से गलत सूचना की रणनीति और न्यायपालिका के खिलाफ जनता की भावनाओं को भड़काने के बारे में चिंतित हैं, जो न केवल अनैतिक हैं, बल्कि हमारे लोकतंत्र के मूलभूत सिद्धांतों के लिए हानिकारक भी हैं.

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हालांकि न्यायपालिका से जुड़ी कई खबरें सेंसिटिव होती है तो कई राजनैतिक, सामाजिक तौर पर महत्तवपूर्ण होती है. किसी भी खबर या किसी भी तरह से हमारी न्यायपालिका के बारे में सोशल मीडिया पर लिखना गलत है और बिना सही-गलत को जाने किसी भी पोस्ट को आगे फोरवड करना भी बहुत निंदनीय है.