राष्ट्रीय महिला आयोग की सदस्यों ने माहवारी जांच से गुजरने वाली छात्राओं से की मुलाकात

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राष्ट्रीय महिला आयोग की सात सदस्यों की एक टीम ने कच्छ जिले के भुज में उन छात्राओं से मुलाकात की जिन्हें कथित रूप से यह पता लगाने के लिए अंत:वस्त्र उतारने पर मजबूर किया गया था कि कहीं उन्हें माहवारी तो नहीं आ रही। पुलिस सूत्रों ने बताया कि उन्होंने 11 फरवरी को श्री सहजानंद गर्ल्स इंस्टिट्यूट (एसएसजीआई) के हॉस्टल में हुई इस घटना की जांच के लिए एक विशेष जांच समिति (एसआईटी) का गठन किया है। छात्राओं से मिलने के बाद आयोग की एक सदस्य ने बताया कि उन्हें एक रजिस्टर का पता चलने पर दुख हुआ जो मासिक धर्म वाली लड़कियों की पहचान के लिए बनाया गया और संबंधित लड़कियों से अलग खाने और सोने को कहा गया। आयोग की सदस्य राजुलबेन देसाई ने छात्रावास में लड़कियों और कर्मचारियों से मिलने के बाद कहा,

‘ कोई भी शैक्षणिक संस्थान सामाजिक बदलाव के लिए कार्य करता है। हमारी हठधर्मी परंपरा में बदलाव की जरूरत है। लेकिन अगर इस तरह की घटना 21वीं शताब्दी में होती है तो यह निश्चित तौर पर शर्म और अपमान की बात है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘ ठीक तरह से जांच के बाद ही हमें पूरी स्थिति का पता चलेगा। लेकिन हमें यह जानकर सदमा लगा कि धर्म के नाम पर ज्यादातर लड़कियां ऐसा करने को राजी हो गईं।’’ सदस्य ने कहा कि लड़कियों की प्रतिक्रिया भी स्तब्ध करने वाली है जिन्होंने कहा कि उन्होंने इस माहवरी संबंधी नियम को लेकर सहमति दी थी। देसाई ने कहा, ‘‘ लड़कियां क्यों इस तरह के बयान दे रही हैं? हम इसकी जांच करेंगे कि कहीं वे दबाव में तो नहीं हैं।’’