अल्लाहू अकबर के नारे से मुजफ्फरनगर के मुस्लिम भी हुए टिकैत से नाराज, जाट समाज भी बेहद खफा। बुरे फंसे टिकैत

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अल्लाहू अकबर हर हर महादेव का नारा राकेश टिकैत ने भले ही खुद को सैक्यूलर जाट जताने की कोशिश में बोला हो, लेकिन उनकी मुजफ्फरनगर की रैली के बाद जाट समाज भी एक खाप नेता द्वारा अल्लाहू अकबर बोलने पर नाराज है और मुस्लिम समाज भी अल्लाहू अकबर के साथ हर हर महादेव का नारा लगाने से बेहद खफा हैं। हालात बता रहे हैं कि रैली के बाद राकेश टिकैत की स्थिती कहीं धोबी के कुत्ते वाली ना हो जाए, जो घर का रहा ना घाट का।

मुजफ्फरनगर के मुस्लिम समाज के शाहुद हुसैन ने एक वेब चेनल को इंटरव्यू देते हुए कहा कि मुस्लिम समाज में राकेश टिकैत के अल्ला हू अकबर हर हर महादेव वाले नारे से बेहद खफा हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि कोई भी मुसलमान अल्लाहू अकबर के नारे के साथ हर हर महादेव बोलना धर्म की तौहीन समझता है, यही वजह है कि कोई भी मु्सलमान हर हर महादेव नहीं बोलता।

अल्लाहू अकबर हर हर महादेव कहकर सदभावना की नौटंकी कर रहे हैं टिकैत

हुसैन ने अपनी बातचीत में ये भी कहा कि टिकैत राजनीति के नाम पर सर्वधर्म सम्भाव की नौटंकी कर रहे हैं। हुसैन ने महात्मा गांधी के द्वारा वर्णित गान ईश्वर अल्लाह तेरो नाम पर भी टिप्पणी करते हुए कहा कि सच्चा मुसलमान कभी भी ये गान नहीं गाता। क्योंकि हिन्दू और मुस्लमान कभी एक नहीं हो सकते।

किसानों के नाम पर टिकैत कर रहे हैं राजनीति

हुसैन ने वीडियो में भी ये भी कहा कि राकेश टिकैत गंदी राजनीति करने के लिए इस तरह मनघड़ंत नारे बना रहे हैं। लेकिन मुस्लिम समाज कभी भी अल्लाहू अकबर के साथ हर हर महादेव को बर्दाश्त नहीं कर सकता।
राकेश टिकैत ने करवाए थे हिन्दू-मुस्लिम दंगे

हुसैन ने 2013 में मुजफ्फरनगर में हुए हिन्दू मुस्लिम दंगों पर भी स्पष्ट कहा कि भारतीय किसान यूनियन के राकेश टिकैत ने ही हिन्दू-मुस्लिम दंगों की आग लगाई थी।
पुलिस से बचने के लिए मुस्लिम आंदोलन में हैं।
बातचीत में एक और सनसनीखेज खुलासा करते हुए हुरैन ने कहा कि मुस्लिम समाज ने किसान आंदोलन को नहीं थामा है। दरअसल किसान आंदोलन में कुछ लोग पुलिस आदि से बचने के लिए आंदोलन में शामिल हुए हैं।

जाहिर है कि राकेश टिकैत की मुजफ्फरनगर रैली से जाट समाज ही नहीं, मुस्लिम समाज भी बेहद खफा है और उन्होंने स्पष्ट कर दिया है कि राकेश टिकैत सिर्फ राजनीति के लिए सर्वधर्म सम्भाव का चोला पहनने की कोशिश कर रहे हैं। जो कि किसी भी कीमत पर कामयाब नहीं हो पाएगी।

मुजफ्फरनगर रैली से उपजे हालात को देखें तो हिन्दू-मुस्लिम के चक्कर में राकेश टिकैत की स्थिती वही है..जिसपर कई कहावतें बनीं हैं। धोबी का…..ना घर का ना घाट का।