पीएम मोदी ने वाराणसी में 10 सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट और आठ कुंडों का किया उद्घाटन

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पीएम मोदी ने वाराणसी में 10 सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट और आठ कुंडों का किया उद्घाटन

वाराणसी- प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार 25 अक्टूबर को उत्तर प्रदेश की अपनी यात्रा के दौरान रामनगर, वाराणसी में 10 एमएलडी क्षमता वाले नए अत्याधुनिक सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट का उद्घाटन किया। केंद्र सरकार द्वारा गंगा नदी का संरक्षण और कायाकल्प करने की दिशा में एक साथ सभी मोर्चों पर काम किया जा रहा है। पीएम मोदी के नेतृत्व में राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (NMCG) द्वारा यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि गंगा नदी में गंदे पानी के प्रवाह का दोहन करने वाले सीवेज ट्रीटमेंट प्लांटों का एक विस्तृत नेटवर्क स्थापित किया जाये, जिसके माध्यम से इस पवित्र नदी की निर्मलता (स्वच्छता) और विरलता (ई-फ्लो) को सुनिश्चित किया जा सके।

‘नमामि गंगे’ मिशन द्वारा एक ऐसे सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट के निर्माण पर बल दिया जा रहा है, जो कि अगले 10-15 वर्षों की आवश्यकताओं को पूरा कर सकता है। इस दिशा में बहुत प्रयास किए जा रहे हैं। यह एसटीपी वाराणसी में अपने प्रकार का पहला अभियान है, जिसमें अत्याधुनिक तकनीक प्रयोग हुई है। इसे नवीनतम A2O (एनारोबिक-एनोक्सिक-एनोक्सिक) तकनीक के आधार पर बनाया गया है। इस 10 एमएलडी क्षमता वाले एसटीपी की विशेषता ये है कि प्रदूषित पानी को विभिन्न देशों के आधुनिक और उन्नत उपकरणों के माध्यम से उपचारित किया जाएगा और केवल उपचारित पानी को ही गंगा नदी में गिराया जाएगा।

पीएम मोदी ने 8 पवित्र कुंडों का भी किया उद्घाटन

पीएम मोदी ने वाराणसी में 10 सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट और आठ कुंडों का किया उद्घाटन

इसके साथ ही पीएम मोदी ने वाराणसी जिले में 18.96 करोड़ की लागत से शहर के आठ पवित्र कुंडों (तालाबों) के सौंदर्यीकरण और संरक्षण परियोजना का भी उद्घाटन किया। इन कुंडों में कलहा, दुधिया, लक्ष्मी, पहाड़िया, पंचकोसी, कबीर, रीवा और बखरिया कुंड शामिल हैं। इन तालाबों का संरक्षण और सौंदर्यीकरण का काम राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के अंतर्गत ‘स्वच्छ गंगा कोष’ के माध्यम से किया गया है।

ये आठ पवित्र कुंड पारंपरिक रूप से मानव निर्मित जल निकाय हैं, जो इस क्षेत्र के लिए पेयजल, वर्षा जल संचयन और भूजल प्राप्ति के लिए महत्वपूर्ण स्रोतों का काम करते हैं। इन ऐतिहासिक कुंडों का संरक्षण हमारे लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है क्योंकि ये न केवल हमारी समृद्ध सामाजिक-सांस्कृतिक विरासत के प्रतीक हैं बल्कि ये एकीकृत जल संसाधन प्रबंधन के चिरस्थायी दृष्टिकोण का उदाहरण भी प्रस्तुत करते हैं।