ऑनलाइन गेम्स कर सकतें हैं आपके बच्चों का भविष्य खराब !

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ऑनलाइन गेम्स ने नौजवानों के दिमाग में ऐसी जगह बना ली हैं कि इसको खेलने के लिए कुछ भी कर गुजरने को तैयार हो जाते हैं । ऐसा ही मामला सीपरी बाजार का हैं,यहाँ रहने वाला किशोर दिनभर मोबाइल से चिपका रहता था। 10वीं की बोर्ड परीक्षा नजदीक आ गई तो मां-बाप ने मोबाइल गेम खेलने से मना किया। फिर किशोर रात में उनके खाने में नींद की गोलियां मिलाने लगा। परिजन के सोने के बाद रातभर किशोर मोबाइल गेम खेलता रहता। ये सिर्फ एक मामला नहीं है। गेम खेलने से मना करने पर झांसी में बच्चे परिजनों के साथ मारपीट भी कर रहे हैं।

हाल ही में लखनऊ में दिल दहलाने वाली वारदात सामने आई है। मोबाइल गेम पबजी खेलने से रोकने पर किशोर ने अपनी मां की गोली मारकर हत्या कर दी। यही नहीं, तीन दिनों तक शव को छिपाए भी रखा। इसके बाद अमर उजाला ने जब झांसी के मनोचिकित्सकों से बातचीत की तो बच्चों के हिंसक व्यवहार और गलत कदम उठाने जैसे कई केस सामने आए। जिला अस्पताल की मनोचिकित्सक डॉ. शिकाफा जाफरीन ने बताया कि सीपरी बाजार का किशोर बिना किसी रोक टोक के मोबाइल गेम खेलता रहे, इसलिए परिजनों को नींद की गोलियां देने लगा। उसके मन में ये बात भी नहीं आई कि इन गोलियों से परिजनों को शारीरिक दिक्कतें हो सकती हैं। परिजनों को जब शक हुआ तो उन्होंने बेटे के कमरे की तलाशी ली। जब नींद की गोलियां मिलीं तो भेद खुल गया। अभी उसका इलाज चल रहा है।

उन्होंने बताया कि महीने में आठ से दस केस उनके पास मोबाइल गेम खेलने से रोकने पर बच्चों के हिंसक व्यवहार शुरू कर देने के आ रहे हैं। कोई तो परिजनों को आत्महत्या करने की धमकी देने लगता है। मनोचिकित्सक डॉ. अर्जित गौरव ने भी बताया कि कोरोना काल शुरू होने के बाद बच्चों में मोबाइल की लत बढ़ी है। पहले ऐसे मामले साल में दो-चार आते थे। अब तो महीने में सात-आठ रोगी वह देख रहे हैं।

डॉ. शिकाफा ने बताया कि ये ऑब्सेसिव कम्पल्सिव डिस्ऑर्डर (ओसीडी) की ही एक बीमारी है। इसमें मरीज को जिस चीज से जुड़ाव हो जाता है, तो वो खुद को उससे अलग नहीं कर पाता। यदि ऐसे रोगियों को मोबाइल गेम खेलना पसंद आ जाता है तो उन्हें उसी में आनंद मिलता है। उन्हें मोबाइल गेम का नशा हो जाता है। बाकी, सब चीजें यहां तक की परिजनों की मौजूदगी भी उनके लिए शून्य हो जाती है। ऐसे मरीज किसी से नहीं मिलते हैं। कोई बात साझा नहीं करते। आगे चलकर कई अन्य प्रकार के मानसिक रोग और डिप्रेशन का शिकार हो जाते हैं।