एजेंसी। यूरोप की यात्रा के दौरान ही भारत के प्रधानमंत्री को सहयोग बढ़ाने और यूक्रेन में रूसी युद्ध पर तटस्थता के बीच की महीन रेखा पर भी सावधानी से चलने की जरूरत तो होगी ही।मोदी जर्मनी, फ्रांस और डेनमार्क के दौरे पर आ रहे है…
यूरोप की यात्रा के दौरान ही भारत के प्रधानमंत्री को सहयोग बढ़ाने और यूक्रेन में रूसी युद्ध पर भी तटस्थता के बीच में महीन रेखा पर सावधानी से चलने की जरूरत तो होगी ही। मोदी जर्मनी, फ्रांस और डेनमार्क के दौरे पर आ रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अगले हफ्ते ही जर्मनी, डेनमार्क और फ्रांस की यात्रा पर आ रहे हैं। यूक्रेन पर रूसी हमले में अपने रुख के लिए भी आलोचना झेल रहा भारत यूरोपीय देशों के साथ में साझेदारी में ऊर्जा को भरने की कोशिश मे।
बर्लिन में चांसलर ओलाफ शॉल्त्स के साथ में भारत के प्रधामंत्री की यह पहली ही मुलाकात होने वाली है दोनों ही नेता इंडो-जर्मन इंटरगर्वनमेंटल कंसल्टेशंस यानी आईजीसी की बैठक में तो शामिल होंगे। यह एक द्विपक्षीय संवाद का भी प्लेटफॉर्म है जिसका मकसद कई नीतिगत मोर्चों पर भी सहयोग को आगे तक ले जाना है। भारत के साथ में करीबी संबध चाहता है जर्मनी जर्मन विदेश मंत्रालय में भी जूनियर मंत्री तोबियास लिंडनर ने भी इस यात्रा को शुरू होने से पहले ही कहा,है कि “कोई बड़ी समस्या भारत के बगैर ही हल नहीं हो सकती है” इस हफ्ते ही दिल्ली में एक बैठक के दौरान में लिंडनर ने ये कहा है कि, “हम तकनीक, शिक्षा, सुरक्षा और जलवायु परिवर्तन पर भी भारत के साथ में सहयोग को करना चाहते हैं।