: वेसे तो भारत में बहुत सी जगह हैं जो की बहुत डरावनी हैं परन्तु हम बात कर रहे है दिल्ली की एेसी 5 जगह जहाँ अकेले जाना खतरे से खाली नहीं…
1-भूली भतियारी का महल, झंडेवालान
देश की राजधानी दिल्ली के अन्दर एक ऐसी जगह है जहाँ पर रात के समय जाना मना है। लोग बताते हैं कि यहाँ एक साया रहता है जो सालों से अपनी मौत का बदला लेने के लिए भटक रहा है। अगर कोई इसको रात के समय मिलता है तो यह साया उस पर हमला कर देता है। अगर आप कभी दिल्ली के भूली भटयारी महल में जायेंगे तो आपको यहाँ पर एक बोर्ड लिखा हुआ मिलेगा, जिस पर लिखा है कि सूर्यास्त के बाद यहाँ पर रुकना मना है। रात के समय यहाँ पर ना ही कोई गार्ड रूकता है और ना ही सुरक्षा कर्मी पहरा देते हुए दिखते हैं। यह लोग बताते हैं कि रात के समय यहाँ एक साया रहता है जो काफी खतरनाक है।
भूली भतियारी महल दिल्ली के करोलबाग और झंडेवालान इलाके के बीच में पड़ता है और यह इलाका जंगल का रूप लिए हुए है। खंडर महल के पीछे कई कहानियां जुड़ी हुई हैं लेकिन सभी ऐसा मानते हैं कि यहाँ पर प्रेत-आत्माओं का वास है।
2-मालचा महल
दिल्ली में रायसीना हिल्स के पास ही चाणक्यपुरी एरिया में मालचा महल है। 1985 में भारत सरकार ने बेगम विलायत महल को इसका मालिकाना हक दे दिया। इस टूटते हुए खंडहर और चमगादड़ों से भरे महल के लिए बेगम विलायत ने नई दिल्ली रेलवे स्टेशन के प्लेटफॉर्म पर 9 साल तक धरना दिया था। जब रेलवे के अफसर उनको हटाने आते, तो उनके 11 डोबरमैन कुत्ते उन पर झपट पड़ते, पीछे से वो धमकी देती कि अगर कोई भी आगे आया, तो सांप का जहर पीकर वो जान दे देंगी। उनका कहना था कि वो अवध के नवाब वाजिद अली शाह के खानदान की राजकुमारी हैं और इस नाते वाजिद अली शाह का ये महल उनका ही हुआ। उस महल में छिपकलियां घूमती थीं, कमर तक घास उगी थी, दरवाजे नहीं थे।
मालचा महल दिल्ली के दक्षिण रिज़ के बीहड़ो में छुपा है। इसका निर्माण आज से 700 साल पहले फ़िरोज़ शाह तुगलक ने करवाया था। वो इसे अपनी शिकारगाह के रूप में इस्तेमाल करते थे। यह महल पिछले कई सदियों से वीरान रहने के कारण खंडहर हो चुका था। इस खंडहर हो चुके महल में 1985 में, अवध घराने की बेगम विलायत महल अपने दो बच्चो, पांच नौकरो और 12 कुत्तो के साथ रहने आई थी। इस महल में आने के बाद वो कभी इस महल से बाहर नहीं निकली। इसी महल में बेगम विलायत खान ने 10 सितम्बर 1993 को आत्महत्या कर ली थी। कहते हैं की बेगम की रूह आज भी उसी महल में भटकती है।
3-म्यूटिनी हाउस, कश्मीरी गेट
यह स्मारक 1857 में मारे गए सिपाहियों की याद में अंग्रेजों ने बनवाया था। यहां, यादें और साए अभी भी इस इमारत के आसपास रहते हैं। इसलिए इसे डरावना माना जाता है।
4-फिरोज शाह कोटला किला
1354 में फिरोज शाह कोटला किला तुगलक द्वारा बनवाया गया यह किला आज खंडहर हो चुका है। लोग कहते है कि हर गुरुवार यहां मोमबत्तियां और अगरबत्ती जलती दिखती हैं और तो और अगले दिन किले के कुछ हिस्सों में कटोरे में दूध और कच्चा अनाज भी रखा मिलता है। यह भी कहा जाता है कि इस किले में जिन है जो लोगो को सज़ा देता है और दुआ भी। ऐसा अक्सर होता रहा है, जिसके चलते किले की पहचान अब भूतों के किले के रूप में होने लगी है।
5-खूनी नदी, रोहिणी
रोहिणी जिले के पास पश्चिम दिल्ली क्षेत्र में यह छोटी धारा बहती है। रोहिणी के कम शोर गुल वाले इस इलाके में यूं भी कम लोग आते हैं। आस पास हरियाली है और नदी के आसपास कोई नहीं जाता। कारण, नदी के किनारे लाश मिलना। हत्या, आत्महत्या, दुर्घटना कारण चाहे जो हो, यहां नदी किनारे लाशें मिलना आम बात हो गई है। निवासियों के अनुसार, उन्होंने यहां कई असामान्य और रहस्यमय घटनाओं को देखा है। वह इसे भुतहा मानते हैं। लोग इस धारा के आस-पास या उसके आस-पास घूमने से भी डरते हैं। यही कारण है कि लोग इसे डरावनी जगहों में शुमार करते हैं। उनके अनुसार अगर कोई खूनी नदी के पानी को छूता है, तो धारा उस व्यक्ति को बेकार कर देती है।
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