भारत रक्षा क्षेत्र में घरेलू उत्पादन बढ़ाकर आत्मनिर्भरता की दिशा में मजबूती से कदम बढ़ा रहा है. इसके लिए पिछले कुछ सालों में कई नीतिगत फैसले लिए गए हैं, जिनका असर दिखना अब शुरू हो गया है. भारत ने साल 2022-23 में रक्षा उत्पादन के मामले में एक बड़ा पड़ाव पार कर लिया है।
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि वित्त वर्ष 2022-2023 में भारत का रक्षा निर्यात 15920 करोड़ रुपये के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गया है। यह देश के लिए एक उल्लेखनीय उपलब्धि है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के प्रेरक नेतृत्व में हमारा रक्षा निर्यात तेजी से बढ़ता रहेगा।
रक्षामंत्री ने ट्वीट किया कि वित्त वर्ष 2022-2023 में भारत का रक्षा निर्यात 15,920 करोड़ रुपये के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गया है। यह देश के लिए एक उल्लेखनीय उपलब्धि है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के प्रेरक नेतृत्व में हमारा रक्षा निर्यात तेजी से बढ़ता रहेगा।
Under the leadership of PM Shri @narendramodi, India’s Defence production has crossed Rs 1 lakh crore mark for the first time ever.
MoD is actively working with the stakeholders to remove the challenges facing the industry and giving them solutions. https://t.co/SHcJt12HJ7
— Rajnath Singh (@rajnathsingh) May 19, 2023
रक्षा मंत्रालय के सतत प्रयासों के परिणामस्वरूप वित्तीय-वर्ष (एफवाई) 2022-23 में रक्षा उत्पादन का मूल्य पहली बार एक लाख करोड़ रुपये के आंकड़े को पार कर गया है। वर्तमान में इसका मूल्य 1,06,800, करोड़ है और निजी रक्षा उद्योगों से आंकड़े प्राप्त होने के बाद इसके और अधिक होने की संभावना है। वित्तीय-वर्ष 2022-23 में वर्तमान रक्षा उत्पादन का मूल्य वित्तीय वर्ष 2021-22 के आंकड़े 95,000 करोड़ रुपये की तुलना में 12% तक बढ़ा गया है।
सरकार देश में रक्षा क्षेत्र में उत्पादन को बढ़ाने के लिए और उनकी चुनौतियों को कम करने के लिए रक्षा-उद्योग और उनके संघों के साथ लगातार काम कर रही है। आपूर्ति श्रृंखला में सूक्ष्म लघु और मध्यम उद्योगों और स्टार्टअप के एकीकरण सहित ‘व्यवसाय में सुगमता’ जैसे उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए कई नीतिगत बदलाव किए गए हैं।
इन नीतिगत बदलावों के कारण एमएसएमई और स्टार्टअप समेत उद्योग रक्षा डिजाइन, विकास और उत्पादन में आगे आ रहे हैं और सरकार द्वारा पिछले सात-आठ वर्षों में उद्योगों को जारी किए गए रक्षा उत्पादन लाइसेंसों की संख्या में लगभग 200% की वृद्धि हुई है। इन उपायों ने देश में रक्षा-उत्पादन उद्योग इको सिस्टम को बढ़ावा देने के साथ रोजगार के भी जबरदस्त अवसर उपलब्ध कराए हैं।