राधेश्याम खेमका का निधन, आखिरी सांस तक गीता प्रेस को समृद्ध करते रहे

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मासिक पत्रिका ‘कल्याण’ के संपादक राधेश्याम खेमका आखिरी सांस तक शताब्दी वर्ष की तैयारियों में जुटे रहे। तीन अप्रैल को वाराणसी में निधन से एक माह पहले तक वह गीताप्रेस के शताब्दी वर्ष समारोह की तैयारियों को लेकर सक्रिय थे। 23 अप्रैल 2022 से शुरू होने जा रहे समारोह से पहले उन्होंने गीताप्रेस से प्रकाशित होने वाली पत्रिका कल्याण के सभी 95 विशेषांकों से 100 महत्वपूर्ण लेख लेकर एक स्वतंत्र ग्रंथ प्रकाशित करने पर सहमति भी दी थी। शताब्दी वर्ष की तैयारियों के क्रम में पिछले सात मार्च को वाराणसी में गीताप्रेस प्रबंधन के साथ बैठक की थी। उन्होंने वृंदावन के मलूकपीठाधीश्वर राजेंद्र दास महाराज की श्रीराम कथा से शताब्दी वर्ष की शुरुआत की बात कही और स्वयं कथाव्यास से इस बारे में अनुरोध करने को कहा था। यह भी सुझाव दिया था कि समापन समारोह के मुख्य अतिथि के रूप में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को आमंत्रण जरूर भेजा जाए। दिल्ली जाकर उनसे मिलकर समारोह में आने के लिए अनुरोध किया जाए। उन्होंने पूरे वर्ष के कार्यक्रमों की योजना पर विचार-विमर्श किया था और शीघ्र ही गोरखपुर आने का आश्वासन दिया था।गीताप्रेस से प्रकाशित होने वाली अनेक पुस्तकों का विचार उन्होंने ही दिया था। खासकर कर्मकांड व संस्कारों से संबंधित पुस्तकों का प्रकाशन उनके सुझाव पर किया गया। इसमें नित्य कर्म पूजा प्रकाश, अंत्यकर्म श्रद्ध प्रकाश, गया श्रद्ध पद्धति, त्रि¨पडी श्रद्ध पद्धति, संस्कार प्रकाश, गरुण पुराण सारोद्धार व जीवच्छाद्ध पद्धति आदि पुस्तकें हैं। अयोध्या दर्शन, अयोध्या माहात्म्य व शुक्ल यजुर्वेद, पुस्तकों पर उनके निर्देशन में वाराणसी में काम शुरू हुआ है। अयोध्या दर्शन पुस्तक लगभग तैयार है। शेष दो पुस्तकों पर काम चल रहा है।धार्मिक व सात्विक प्रवृत्ति के राधेश्याम खेमका गीताप्रेस आते थे तो यहां पत्तल में भोजन करते थे और कुल्हड़ में पानी पीते थे। उन्होंने कभी चर्म वस्तुओं का उपयोग नहीं किया। जूता भी कपड़े या रबर का पहनते थे।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह व मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उनके निधन पर श्रद्धांजलि अर्पित की है। प्रधानमंत्री ने ट्वीट में कहा है कि सनातन साहित्य को जन-जन तक पहुंचाने वाले राधेश्याम खेमका के निधन से अत्यंत दुख हुआ है। खेमका जीवनर्पयत विभिन्न सामाजिक कार्यों में सक्रिय रहे। गृह मंत्री ने कहा है कि खेमका ने जीवन भर सनातन संस्कृति का संवाहक बनकर भारत की प्राचीन परंपरा को दुनियाभर में पहुंचाने का काम किया है। मुख्यमंत्री ने कल्याण के संपादक के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है।राधेश्याम खेमका पूर्ण रूप से धार्मिक व सात्विक व्यक्ति थे। उनके जीवन के केंद्र में केवल भगवान व उनके काम थे। पूरा जीवन उन्होंने गीताप्रेस के कार्यों को समर्पित कर दिया था। गीताप्रेस की तरफ से उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि व विनम्र नमन।