बुराड़ी कांड में नया खुलासा, ये आत्महत्या नहीं हादसा था।

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लगभग चार महीने पहले दिल्ली के बुराड़ी इलाके के एक घर से एक साथ 11 लाशें निकली थीं. अब तक इन मौतों का सच सामने नहीं आ पाया। ज्यादातर लोग ये मानने के तौयार ही नहीं थे कि एक ही घर के 11 लोग एक साथ यूं भी खुदकुशी कर सकते हैं। इस खौफनाक हादसे के चार महीने बाद अब इसी मामले में दिल्ली पुलिस ने एक बेहद चौंकाने वाला खुलासा किया है। पुलिस का कहना है कि बुराड़ी के उस घर में उस रात जो कुछ भी हुआ वो ना तो कत्ल था और ना ही खुदकुशी, बल्कि वो सिर्फ एक हादसा था।

बुराड़ी कांड में नया खुलासा, ये आत्महत्या नहीं हादसा था।

मृतकों की दिमागी हालत जानने के लिए साइकोलॉजिकल अटोप्सी भी कराई और  अब जाकर साइकोलॉजिकल अटोप्सी रिपोर्ट सामने आई है –

जी, यही साइकोलॉजिकल एनलासिस रिपोर्ट है, जिसमें साफ लिखा है कि साइकोलॉजिकल अटोप्सी से पता चला है कि बुराड़ी कांड सुसाइड नहीं बल्कि पूजा के दौरान हुआ एक हादसा था। इस हादसे में शामिल किसी भी सदस्य को नहीं पता था कि ऐसा करते वक्त उनकी मौत हो जाएगी।

मृतक परिवार में 78 साल की नायारणी देवी, 50 साल का बड़ा बेटा भुवनेश उर्फ भुप्पी. 48 साल की उसकी पत्नी सविता. तीन बच्चे नीतू, मोनी और ध्रव. भोपाल सिंह का 45 साल का छोटा बेटा ललित. ललित की पत्नी 42 साल की टीना. ललित का बेटा शिवम. भोपाल सिंह की 57 साल की विधवा बेटी प्रतिभा. और प्रतिभा की 33 साल की बेटी प्रियंका थे।

छोटा बेटा होने की वजह से ललित शुरू से अपने पिता का लाडला था। बाप की मौत का सबसे ज़्यादा सदमा भी उसे ही लगा था। भोपाल सिंह की मौत के कुछ साल बाद ही अचानक एक हादसे में ललित की आवाज़ भी चली गई. पिता की मौत और आवाज़ के चले जाने से ललित पूरी तरह से टूट चुका था।

परिवार के करीबियों के मुताबिक इसी दौरान ललित ने घर वालों को बताना शुरू किया कि उसे उसके पिता भोपाल सिंह दिखाई देते हैं. वो उनसे बात भी करते हैं. उसके इस अंधविश्वास में उसे उसकी बेहद धार्मिक पत्नी टीना का पूरा साथ मिला।

वक्त गुजरता गया और ललित को अब आए दिन उसके पिता दिखाई देने लगे। हद तब हो गई जब वो उनके आदेशों को सुनने और मानने लगा। यहां तक कि अब वो अपने पिता की ही हूबहू आवाज़ निकालने लगा. घर से मिले रजिस्टर के मुताबिक एक रोज़ ललित के पिता ने उसे परिवार से उनकी मुलाकात कराने का आदेश दिया।

पुलिस के मुताबिक वो ललित ही था जो पिता के आदेशों को रजिस्टर में लिख रहा था और अनको अमल में भी ला रहा था, मगर जिस आवाज़ ने ललित से सबको बचा लेने का वादा किया था,असल में ऐसी कोई आवाज़ थी ही नहीं। ये तो बस ललित का वहम था, जो एक बीमारी की वजह से उसे सुनाई दे रही थी।बहुत ही गहरा अनुमान है कि उस रात ललित ने ही सभी के हाथ-पैर बांधे थे और आंखें बंद कर दी थीं ,फिर उसी अंधविश्वास के फंदे से झूलने के दौरान ना चाहते हुए भी पूरे परिवार का गला घुंट गया और सबकी मौत हो गई।