
कनाडा के नए प्रधानमंत्री के रूप में मार्क कार्नी का नाम तय हो गया है। वह जस्टिन ट्रूडो की जगह लेंगे, जिन्होंने हाल ही में लिबरल पार्टी के नेता पद से इस्तीफा दे दिया। कार्नी एक अनुभवी अर्थशास्त्री हैं और उन्हें दुनिया के दो बड़े देशों के केंद्रीय बैंक के गवर्नर के रूप में सेवा देने का अनुभव है।
मार्क कार्नी की पहचान एक कुशल अर्थशास्त्री और प्रभावी प्रशासक के रूप में है। उन्हें 2007 में कनाडा का गवर्नर बनाया गया था, जब पूरी दुनिया मंदी की चपेट में थी। इसके बाद उन्होंने बैंक ऑफ इंग्लैंड के गवर्नर के रूप में भी अपनी सेवाएं दीं। उनकी अर्थव्यवस्था को स्थिर करने की नीतियों की सराहना की जाती रही है।
हालांकि, मार्क कार्नी ने सक्रिय राजनीति से दूरी बनाए रखी थी, लेकिन उनका नाम कई महत्वपूर्ण अवसरों पर उभरकर सामने आया। 2012 में तत्कालीन प्रधानमंत्री स्टीफन हार्पर ने उन्हें वित्त मंत्री बनने का प्रस्ताव दिया था, लेकिन उन्होंने इसे स्वीकार नहीं किया। 2013 में जब लिबरल पार्टी के नेतृत्व का चुनाव हुआ था, तब भी उनका नाम सामने आया था, लेकिन उन्होंने उसमें रुचि नहीं दिखाई।
भारत-कनाडा संबंधों में सुधार की उम्मीद
पूर्व प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के कार्यकाल में भारत-कनाडा संबंधों में काफी तनाव देखा गया था। लेकिन मार्क कार्नी के आने से इन संबंधों में सुधार की संभावना जताई जा रही है। हाल ही में उन्होंने कहा था कि भारत और कनाडा को अपने रिश्ते फिर से मजबूत करने चाहिए।
कनाडा की अर्थव्यवस्था और वैश्विक राजनीति में नई चुनौतियां
मार्क कार्नी के सामने अब कनाडा की अर्थव्यवस्था को मजबूती देने और देश के नागरिकों का भरोसा जीतने की चुनौती होगी। उनके लिए अमेरिका और अन्य वैश्विक शक्तियों के साथ संबंधों को बेहतर बनाए रखना भी एक अहम मुद्दा रहेगा।
ट्रूडो ने सोशल मीडिया पर किया विदाई संदेश साझा
जस्टिन ट्रूडो ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट X (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा—
“मैं लिबरल पार्टी के नेता के रूप में उसी आशा और कड़ी मेहनत के साथ विदा ले रहा हूँ, जैसा कि मैंने शुरू में किया था।”
उन्होंने आगे लिखा, “इस पार्टी और इस देश के लिए काफी उम्मीदें हैं। उन लाखों कनाडाई लोगों की वजह से जो हर दिन साबित करते हैं कि बेहतर हमेशा संभव है।”
मार्क कार्नी के प्रधानमंत्री बनने से कनाडा आर्थिक, सामाजिक और अंतरराष्ट्रीय मोर्चे पर नए युग में प्रवेश करने जा रहा है। अब देखना होगा कि वह देश को किस दिशा में ले जाते हैं और क्या वह भारत-कनाडा संबंधों में नई ऊर्जा भरने में सफल होंगे।