भगवान शिव को समर्पित इस मंदिर का रहस्य जानें!

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भारत में मंदिरों का बहुत महत्व है यहाँ का हर एक मंदिर अपने आप में एक विशेष स्थान रखता हैं हर एक मंदिर से कोई ना कोई रहस्य जुड़ा हुआ है. मंदिरों के ये रहस्य भक्तों को अपनी और खींचते हैं. ऐसे ही मंदिरों में से एक है उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले से करीब 50 किलोमीटर दूर स्तिथ जागेश्वर मंदिर.इस मंदिर को जागेश्वर धाम के नाम से जाना जाता है. आज हम आपकों इस मंदिर से जुड़ी कई रहस्यमयी कहानियों से अवगत कराएँगे.

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भगवान शिव को समर्पित हैं जागेश्वर मंदिर

जागेश्वर धाम में मुख्य तौर पर भगवान शिव, विष्णु, देवी शक्ति और सूर्य देवता की पूजा की जाती है. होती है.रोचक बात ये है कि जागेश्वर धाम के अंदर के मंदिरों के भी अलग-अलग नाम हैं. जैसे- दंडेश्वर मंदिर, चंडी-का-मंदिर, जागेश्वर मंदिर, कुबेर मंदिर, मृत्युंजय मंदिर, नंदा देवी या नौ दुर्गा, नवग्रह मंदिर और सूर्य मंदिर यहां के प्रमुख मंदिर हैं. पुष्टि माता और भैरव देवता की भी यहां पूजा की जाती है.

जागेश्वर का प्राचीन मृत्युंजय मंदिर धरती पर स्थित बारह ज्योतिर्लिंगों का उद्गम स्थल है। इस मंदिर का 2500 वर्ष पूर्व इतिहास है. सनातन धर्म के लिंग पुराण, स्कंद पुराण औऱ शिव पुराण में इस मंदिर का उल्लेख मिलता है. इस मंदिर के अंदर कई शिलालेख औऱ मूर्तियां मौजूद हैं. इस मंदिर में शंकर भगवान के नागेश स्वरुप की पूजा की जाती है. इस मंदिर के आस- पास ऊंचे -ऊंचे देवदार के पेड़ों का जंगल है.इसके पास में जाटगंगा नाम की नदी बहती है.

मंदिर के रहस्य रहस्य

धार्मिक ग्रंथों के अनुसार जागेश्वर धाम मंदिर में भगवान शिव और सप्त ऋषियों ने तपस्या की शुरुआत की थी. मान्यता है कि इस मंदिर से ही शिव लिंग की पूजा की जाने लगी थी. इस मंदिर को गौर से देखने पर पता चलता है कि इसकी बनावट बिल्कुल केदारनाथ के जैसी है. इस मंदिर के अंदर करीब 124 छोटे मंदिर हैं जहां पूजा की जाती है.