न्यायमूर्ति बी.आर. गवई बनेंगे भारत के 52वें मुख्य न्यायाधीश, राष्ट्रपति मुर्मू आज दिलाएंगी शपथ

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भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) संजीव खन्ना मंगलवार, 13 मई को अपने पद से सेवानिवृत्त हो गए। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठतम न्यायाधीश न्यायमूर्ति भूषण रामकृष्ण गवई (बी.आर. गवई) को कार्यभार सौंप दिया। न्यायमूर्ति गवई बुधवार, 14 मई को भारत के 52वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ लेंगे। उन्हें राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू पद और गोपनीयता की शपथ दिलाएंगी।

पूर्व निर्धारित प्रक्रिया के तहत, 16 अप्रैल को न्यायमूर्ति खन्ना ने केंद्र सरकार को जस्टिस गवई के नाम की अनुशंसा की थी। भारत के सर्वोच्च न्यायालय में वरिष्ठता के आधार पर गवई को यह जिम्मेदारी सौंपी जा रही है। उनका कार्यकाल लगभग छह महीनों का होगा और वे 23 दिसंबर 2025 को 65 वर्ष की आयु पूरी होने पर पद से सेवानिवृत्त होंगे।

न्यायमूर्ति गवई का जन्म 24 नवंबर 1960 को महाराष्ट्र के अमरावती में हुआ था। वे दिवंगत आर.एस. गवई के पुत्र हैं, जो बिहार और केरल के राज्यपाल रह चुके हैं। अपने न्यायिक करियर की शुरुआत उन्होंने 14 नवंबर 2003 को बॉम्बे हाईकोर्ट में अडिशनल जज के रूप में की थी। इसके बाद 12 नवंबर 2005 को उन्हें हाईकोर्ट का स्थायी न्यायाधीश नियुक्त किया गया।

अपने कार्यकाल के दौरान, जस्टिस गवई ने मुंबई, नागपुर, औरंगाबाद और पणजी की पीठों में कार्य किया। उन्हें 24 मई 2019 को सुप्रीम कोर्ट का न्यायाधीश नियुक्त किया गया, जहां वे कई महत्वपूर्ण संविधान पीठों का हिस्सा रहे और कई ऐतिहासिक फैसलों में अपनी भूमिका निभाई।

न्यायमूर्ति बी.आर. गवई की नियुक्ति भारतीय न्यायपालिका के लिए एक महत्वपूर्ण क्षण है, क्योंकि वे भारत के पहले दलित मुख्य न्यायाधीश होंगे जो संविधान पीठ में विशिष्ट योगदान के साथ सर्वोच्च पद तक पहुंचे हैं।