क्या सोनिया-वाड्रा कंपनी बन चुकी है कांग्रेस ? क्यों हैं बड़े नेता परेशान ?

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कांग्रेस में कार्यकर्ता बनकर रहना पड़ता है, नेता नहीं, छत्तीसगढ़ कांग्रेस का ये ट्वीट अपने आप में कई सवाल पीछे छोड़ देता है, वहीं दूसरी ओर कांग्रेस के बड़े कद्दावर नेताओं का गुट जी-23 है, जब कहते है कि कांग्रेस में मेजर सर्जरी की जरुरत है, तो सवाल और भी गहरा जाते हैं। कुछ तो है कांग्रेस में जो बडे नेताओं को बार-बार परेशान किए जा रहा है और एक एक कर सिंधिया की तरह युवा नेता कांग्रेसी खेमा छोड़ चलते बन रहे हैं। इसके लिए जरुरी है कि हम कांग्रेस के सफर पर गौर करें।

अंग्रेजी हुकुमत के दौरान ए ओ ह्यूम ने कांग्रेस की स्थापना की और साफ है कि ब्रिटिश द्वारा स्थापित संस्था में कुछ तो ऐसे लोग होंगे, जिन्हें भारत की जनता और ब्रिटिश सत्ता के बीच ब्रिज के तौर पर काम करना हो। शुरुआत में राहुल गांधी के पड़नाना के पिता के पिता कांग्रेस में थे, और जब लोकतांत्रिक चुनावों के लिए 1928 में अध्यक्ष चुना जाना था तो मोतीलाल नेहरू ने सरदार पटेल की बजाए गांधी जी को ये समझा दिया कि जवाहरलाल नेहरू युवा चेहरा है और नेतृत्व युवाओं के हाथ में दिया जाना चाहिए। इसे लेकर कई चिट्ठियां भी सार्वजनिक हो चुकी हैं। 1928 में कोलकाता में हुए अधिवेशन से नेहरु पहली बार कांग्रेस अध्यक्ष बनाए गए और तब से लेकर आज तक उनके खानदान में पीढ़ियां बदलती चली गईं, लेकिन सत्ता का केंद्र नहीं बदला। नेहरू के बाद इंदिरा, इंदिरा के बाद राजीव, राजीव के बाद सोनिया गांधी और राहुल गांधी और अब प्रियंका गांधी वाड्रा के हाथों में कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व के फैसले लेने का अधिकार है।

कांग्रेस की यही खासियत भी है और यही कमजोर भी कि एक ही परिवार के हाथों में पिछले करीब 100 साल से सत्ता की चाबी रही है। खासियत इसलिए क्योकिं किसी को कन्फ्यूजन नहीं होता कि वो नेता बन सकते हैं और कमजोरी इसलिए क्योंकि कहने को कांग्रेस खुद को लोकतांत्रित पार्टी बताती है।  आखिर कैसे संभव है कि लोकतंत्र के नाम पर सदैव एक ही परिवार, एक राजनीतिक पार्टी में सत्ता के चरम पर रहे। ऐसा नहीं है कि इन बातों पर पहले सवाल नहीं उठे, शायद कांग्रेस में सत्ता का केंद्रीकरण ही एक वजह है कि लगभग हर प्रदेश में दर्जनों ऐसी राजनीतिक पार्टियां बन चुकी हैं, जिनके संस्थापक कभी कांग्रेस के विधायक, सांसद या कार्यकर्ता रहे हों।

2020 तक कांग्रेस में हर दशक में हुए विरोध के बावजूद सत्ता के खिलाफ कभी संयुक्त आवाज नहीं उठी तो अब क्यों विरप्पा मोइली जैसे कद्दावर नेता मिलकर, जी-23 गुट के साथ कांग्रेस की मेजर सर्जरी यानी पूरी तरह से सिस्टम में परिवर्तन की बात कर रहे हैं। क्या उनका इशारा कांग्रेस को गांधी वाड्रा परिवार के केंद्र से मुक्त कर पूर्णत लोकतांत्रिक रुप से पार्टी का पुनर्गठन करने की ओर तो नहीं ?

क्या पुत्र प्रेम में सोनिया गांधी नहीं करवा पा रहीं अध्यक्ष पद के चुनाव?

कांग्रेस में अध्यक्ष पद का चुनाव भी लगातार सोनिय गांधी टालती जा रही हैं और इसकी बड़ी वजह मानी जा रही है उनका पुत्र प्रेम। राहुल गांधी की उम्र 51वें वर्ष में पहुंच चुकी है, लेकिन उनके बयानों में परिपक्वता की कमी कांग्रेस में लंबे अरसे से महसूस की जा रही है, मोदी समर्थक राहुल गांधी को कांग्रेस का युवराज बताते हुए उन्हें मोदी और बीजेपी का लकी चार्म भी मानते हैं क्योंकि अक्सर देखा गया है कि राहुल गांधी ऐसे बयान दे देते हैं, जिनकी वजह से जनता का मूड खराब होकर दूसरी ओर यानी भाजपा में चला जाता है।

सवाल ये भी है कि राहुल गांधी कब तक युवा नेता कहलाते रहेंगे , एक ओर बीजेपी ने जहां 70 की उम्र के बाद रिटायरमेंट की पॉलिसी की ओर कदम बढ़ाने शुरु कर दिए हैं, वहीं कांग्रेस में राहुल गांधी को युवा ही घोषित करने की होड़ मची रहती है। और ऐसे में ही आता है कांग्रेस छत्तीसगढ़ का ये ट्वीट

“कांग्रेस में कार्यकर्ता बनकर रहना पड़ता है, नेता नहीं।”

ये ट्वीट अपने आप में इशारा करता है कि कांग्रेस में नेता एक ही है, और वो है गांधी-वाड्रा परिवार के वंशज। ऐसे में दशकों से कांग्रेस के लिए अपनी जी जान लड़ाते आ रहे कांग्रेस के दिग्गज नेताओं की राजनीतिक महत्वाकांक्षा पर भी चोट होनी स्वाभाविक है और पार्टी के छोटे ही नहीं, बड़े नेताओं पर भी चम्मचे होने के आरोप भाजपाई सोशल मीडिया पर लगाते रहे हैं।

इस बात में कोई दो राय नहीं कि कांग्रेस में कुछ तो गड़बड़ चल रही है, और उसमें लोकतांत्रिक सिस्टम का ना होना, कहीं ना कहीं एक बड़ी वजह हो सकता है। अब सवाल ये है कि क्या कांग्रेस में निष्पक्ष चुनाव हो पाएंगे, क्या जीतने वाले राज्यों में गांधी वाड्रा परिवार के पसंदीदा के अलावा दूसरों को लोकतांत्रिक तरीके से सीएम का पद मिल पाएगा या फिर जीतिन प्रसाद जैसे पार्टी के जनता के पसंदीदा चेहरों को लोकतांत्रिक तरीके से अपना राजनीतिक भविष्य तलाशने के लिए दूसरी पार्टियों में जाना पड़ेगा।

सवाल बहुत हैं, लेकिन जवाब वक्त ही दे पाएगा कि आखिर कांग्रेस में ऐसा क्या चल रहा है, जिसकी वजह से बड़े नेता बार-बार कांग्रेस में मेजर सर्जरी करने की बात करते आ रहे हैं। सवाल ये भी है कि क्या उनकी मांगों पर कांग्रेस में सर्जरी हो भी पाएगी , या कल को NCP, सपा, टीएमसी जैसी एक नई पार्टी कांग्रेस के नाम के साथ भारत की राजनीतिक पृष्ठभूमी में अपना नाम दर्ज करवाएगी।