सही निकला सुप्रीम कोर्ट का अंदेशा ? दी थी महिलाओं को आंदोलन से दूर रखने की हिदायत । अब बेटियों से बलात्कार की घटनाएं सामने आनी शुरु

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10-11 जनवरी, 2021 को सुप्रीम कोर्ट में किसान आंदोलन की सुनवाई के दौरान चीफ जस्टीस जस्टिस ने कहा था कि शांतिपूर्ण तरीके से हर किसी का दिल्ली में स्वागत है, आप उनसे कहें कि सिर्फ अपनी सुरक्षा और स्वास्थ्य के लिए वापस जाएं।

सुप्रीम कोर्ट को आंदोलनकारियों के वकील एच.एस. फुल्का की ओर से कहा गया कि महिलाएं और बुजुर्ग अपनी मर्जी से ही आंदोलन में बैठे हैं। इसपर भी चीफ जस्टिस ने कहा कि “मैं यहां रिस्क लेता हूं और एक सीधा संदेश देता हूं, आप महिलाओं और बुजुर्गों से कहें कि CJI चाहते हैं कि आप घर चले जाएं। “

लेकिन किसान आंदोलनकारी नेताओं ने सुप्रीम कोर्ट की इस हिदायत को दरकिनार कर आंदोलनस्थलों पर महिलाओं, बेटियों, बच्चों और बुजुर्गों को लाने की मुहिम और तेज कर दी। 18 जनवरी को महिला दिवस के रुप में मनाने का ऐलान कर दिया और अब महीनों बाद किसान आंदोलन से रिस रिसकर उन सभी बातों के खुलासे हो रहे हैं, जिन्हें शायद चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया ने डर जताया था।

किसान आंदोलन में एक लड़की से गैंगरेप की घटना सामने आ चुकी है, जिसमें पुलिसिया तफ्तीश बता रही है कि आंदोलनस्थल पर वोलंटियर के तौर पर बंगाल से आई लड़की को किसान आंदोलन के पक्के टेंट में उसके साथ एक बार नहीं बल्कि बार बार रेप हुआ और उसे चुप रखने के लिए उसकी वीडियो भी बनाई गई।

किसान आंदोलन के बड़े नेता चाहे योगेन्द्र यादव हों, गुरनाम सिंह चढ़नी हों या फिर राकेश टिकैत, वो भी अब इस बात को मान चुके हैं कि उन्हें बहुत पहले पता चल चुका था कि टिकरी बॉर्डर पर एक बेटी के साथ ऐसी घटना हुई है।

जाहिर है कि सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस ने भी शायद ऐसी ही आशंकाओ के मद्देनजर किसान नेताओं को महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों को घर वापस भेजने की हिदायत दी हो, जिसे किसान नेताओं ने पूरी तरह नकार दिया।

अब सवाल ये उठता है कि क्या भारत का सुप्रीम कोर्ट किसान आंदोलन से छनकर बाहर आ रही ऐसी रिपोर्ट्स पर स्वत: संज्ञान लेता है या फिर इस आंदोलन में से कुछ और बड़ी घटना होने तक , पीआईएल फाइल होने तक इंतजार करेगा।

घरों में, गांवों में, बंगाल से लेकर पंजाब तक और कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक, आंदोलनस्थलो से आ रही खबरों को देखकर, पढ़कर, देश की आधी आबादी भी बेसब्री से इंतजार कर रही हैं कि क्या बेटियों को इंसाफ दिलवाने की मुहिम तेज होगी। क्या भारत सरकार और देश की सर्वोच्च अदालत ऐसे कोई निर्देश या व्यवस्था बनाएगी कि आंदोलन में किसी और बेटी के साथ ऐसी बदसलूकी ना हो।