पाकिस्तान में हिंदुओं के बाद अब निशाने पर ईसाई, अब पादरी की गोली मारकर हत्या

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पाकिस्तान के पश्चिमोत्तर पेशावर शहर में रविवार की प्रार्थना के बाद घर लौट रहे एक पादरी की अज्ञात बंदूकधारियों ने गोली मारकर हत्या कर दी और एक अन्य को घायल कर दिया.पुलिस ने ये जानकारी दी और इसे ‘आतंकवादी कृत्य’ बताया. पाकिस्तान में लंबे समय से अल्पसंख्यक हिन्दुओं पर अत्याचार की घटनाएं सामने आती रही हैं. अब इस अत्याचार के शिकार ईसाई भी हो रहे हैं।

पुलिस ने बताया कि पेशावर के गुलबहार इलाके में हुए हमले में बिशप विलियम सिराज को कई बार गोली मारी गई और उनकी मौके पर ही मौत हो गई, जबकि फादर नईम पैट्रिक घायल हो गए. पुलिस तुरंत मौके पर पहुंची और तलाश अभियान शुरू किया. अपराधियों को पकड़ने के लिए एंट्री और एग्जिट गेट पर कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई है. फिलहाल अब तक किसी भी संगठन ने इस हमले की जिम्मेदारी नहीं ली है।

हाल के सालों में पाकिस्तान में अल्पसंख्यक ईसाई समुदाय के लोगों को निशाना बनाकर किए जा रहे आतंकवादी हमले में ये ताजा मामला है. पुलिस ने कहा कि वो मोटरसाइकिलों पर भागे हमलावरों का पता लगाने के लिए सीसीटीवी फुटेज की समीक्षा कर रहे हैं. वहीं पाकिस्तान उले मा काउंसिल के अध्यक्ष और अंतरधार्मिक सद्भाव एवं पश्चिम एशिया के लिए प्रधानमंत्री के विशेष प्रतिनिधि हाफिज मोहम्मद ताहिर महमूद अशरफी ने पादरी पर हमले की निंदा  की है और पुलिस को हमलावरों की जल्द से जल्द गिरफ्तारी के निर्देश दिए हैं।

मुख्यमंत्री महमूद खान ने घायल फादर के लिए सबसे बढ़िया इलाज उपलब्ध कराने का भी आदेश दिया. साल 2017 की जनगणना के अनुसार पाकिस्तान में हिंदू सबसे बड़े धार्मिक अल्पसंख्यक हैं. ईसाई समुदाय दूसरा सबसे बड़ा धार्मिक अल्पसंख्यक है. पिछले साल दिसंबर महीने में पाकिस्तान में एक बार फिर धार्मिक अल्पसंख्यकों के उत्पीड़न का मामला सामने आया था. सिंध प्रांत में एक नाबालिग समेत दो हिंदू लड़कियों का अपहरण कर दोनों का जबरन धर्म परिवर्तन कराया गया और जिन लोगों ने उन्हें अगवा किया था, उनसे ही दोनों की शादी करवा दी गई।

एक पीड़िता की उम्र महज 13 साल है, जबकि दूसरे की 19 साल. पाकिस्तान की नेशनल असेंबली के सदस्य और देश के अल्पसंख्यक नेता लाल चंद मल्ही ने पीड़ित की जानकारी को साझा किया है. उन्होंने अल्पसंख्यकों के खिलाफ अत्याचार और उनके जबरन धर्मांतरण को रोकने में विफल रहने के लिए सत्तारूढ़ इमरान खान के नेतृत्व वाली पीटीआई सरकार की आलोचना की थी।