चारा घोटाले के डोरंडा कोषागार मामले में लालू यादव समेत 75 दोषी करार, 24 बरी, 21 को सजा का ऐलान, रांची की सीबीआई कोर्ट ने सुनाया फैसला

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लालू प्रसाद यादव चारा घोटाले के केस में दोषी ठहराए गए हैं. चारा घोटाले से जुड़े अंतिम मामले में आज रांची स्थित सीबीआई की विशेष अदालत ने फैसला सुनाया है। यह मामला डोरंडा कोषागार से जुड़ा है जिसके तहत 139.35 करोड़ रुपये की अवैध निकासी से जुड़ा है. इस मामले में सजा का ऐलान 21 फरवरी को होगा

यह मामला डोरंडा कोषागार से 139 करोड़ रुपये की अवैध निकासी से जुड़ा है. रांची स्थित सीबीआई की स्पेशल कोर्ट ने यह फैसला सुनाया है. मामले में सजा का ऐलान 21 फरवरी (सोमवार) को होगा. अगर तीन साल से कम की सजा होती है तो यहीं से लालू को जमानत मिल जाएगी. अगर ऐसा नहीं होता है तो लालू को कस्टडी में लिया जाएगा.

लालू समेत इस केस में अन्य भी आरोपी थे. साबीआई कोर्ट ने 24 को बरी किया है, वहीं 36 को दोषी ठहराया है. मामले में पूर्व सांसद जगदीश शर्मा, पीएसी के तत्कालीन अध्यक्ष ध्रुव भगत को भी दोषी माना गया है. उनको तीन-तीन साल की सजा हुई है. लालू प्रसाद यादव को लेकर सजा का एलान होना बाकी है। अगर लालू को तीन साल से अधिक की सजा होती है तो फिर जमानत नहीं मिल पाएगी। अगर सजा तीन साल से कम की होती है तो जमानत की संभावना बन जाएगी।

अदालत के सामने पेश होने के लिए लालू रविवार  को ही पटना से रांची के लिए रवाना हो गए थे। रांची पहुंचने पर पार्टी कार्यकर्ताओं ने एयरपोर्ट पर लालू यादव का स्वागत किया। बता दे  कि लालू प्रसाद को अब तक करोड़ों रुपये के चारा घोटाले से जुड़े पांच में से चार मामलों में दोषी ठहराया जा चुका है। चारा घोटाले के चार मामलों- देवगढ़, चाईबासा, रांची के डोरंडा कोषागार और दुमका मामले में लालू प्रसाद को जमानत  दे दी गई थी। सजा के साथ-साथ उनको 60 लाख का जुर्माना भी भरना पड़ा था. फिलहाल लालू यादव जमानत पर बाहर हैं.

लालू प्रसाद यादव की तबीयत फिलहाल ठीक नहीं है. माना जा रहा है कि सीबीआई कोर्ट इस बात को ध्यान में रखकर कुछ राहत दे सकती है. हालांकि, पिछले मामलों को देखें तो लालू यादव को सीबीआई कोर्ट से राहत नहीं मिली थी. चारा घोटाले से जुड़े पिछले मामलों में लालू को पांच से सात साल तक की सजा हुई थी. फिर बाद में हाईकोर्ट से लालू को राहत मिली थी.

वही सीबीआई ने जांच में कहा था कि ये व्यापक षड्यंत्र का मामला है। इसमें राज्य के नेता, कर्मचारी और व्यापारी सब भागीदार थे। इस मामले में बिहार के एक और पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. जगन्नाथ मिश्र समेत राज्य के कई मंत्री गिरफ्तार किए गए थे।