PAU द्वारा पंजाब में आयोजित किए जाने वाले ‘किसान मेले’ ने बदली कई जिंदगियां

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PAU द्वारा पंजाब में आयोजित किए जाने वाले ‘किसान मेले’ ने बदली कई जिंदगियां

लुधियाना- पंजाब कृषि विश्वविद्यालय (PAU) की ओर से प्रत्येक वर्ष राज्य के कई शहरों में किसान मेले का आयोजन किया जाता है। इस बार भी कोरोना के कारण ये किसान मेला पिछले साल की तरह वर्चुअली आयोजित किया गया। 8 सितंबर से शुरु हुए इस किसान मेला का आज समापन हुआ। पंजाब कृषि विश्वविद्यालय के मेंटोर जगह-जगह किसान मेले आयोजित करकर प्रदेश के किसानों को कृषि के बारे में जानकारी देते हैं, साथ ही उनके खेत और फसल से जुड़ी हर समस्या का किसानों को समाधान बताते हैं। पीएयू के मेंटोर किसानों के बीच कृषि से जुड़ी कई विषयों जैसे खाद्य आदि के बारे में जागरुकता फैलाते हैं। किसान मेले में किसानों को बताया जाता है कि कम से कम संसाधनों से ज्यादा से ज्यादा परिणाम कैसे निकाल जा सकते हैं। साथ ही इस बार किसान मेले में प्रदेश के किसानों के बीच जैविक खेती के बारे में जागरुकता फैलाई गई और किसानों को जैविक खेती करने के लिए प्रोत्साहित किया गया।

PAU द्वारा पंजाब में आयोजित किए जाने वाले 'किसान मेले' ने बदली कई जिंदगियां

पीएयू द्वारा आयोजित ये किसान मेला ना सिर्फ किसानों को बेहतर खेती करने के लिए प्रोत्साहित करता है, बल्कि किसानों का रूख व्यापार की तरफ भी करता है। ऐसे किसान मेले किसानों को एक बेहतर उद्यमी बनाने में मदद करते हैं। ऐसे ही पंजाब के एक किसान हैं मंजीत सिंह। मंजीत सिंह उन किसानों में से एक हैं जो पीएयू द्वारा आयोजित किसान मेलों में जाने के बाद व्यापार के लिए प्रेरित हुए। मंजीत सिंह अब एक सफल उद्यमी हैं और एक नर्सरी के मालिक हैं। ऐसी ही कई कहानियां हैं जो किसान मेले का महत्व और भी बढ़ा देती हैं।

आपको बता दें पहला किसान मेला आठ सितंबर को बल्लोवाल सोंकड़ी और नाग कलां जहांगीर में आयोजित किया गया, जहां पंजाब कृषि विश्वविद्यालय के प्रोफेसरों द्वारा किसानों को खेती के लिए सही तकनीक अपनाने और जैविक खेती की ओर रुख करने की सलाह दी गई। दूसरे किसान मेला 14 सितंबर को गुरदासपुर और फरीदकोट में आयोजित किया गया। फरीदकोट और गुरदासपुर के किसानों ने भी किसान मेले में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। 17 और 18 सितंबर को तीसरा मेला लुधियाना के पीएयू में और चौथा और पांचवां किसान मेला 22 सितंबर को पटियाला और 29 सितंबर को बठिंडा में लगाया गया।

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