श्री मेहंदीपुर जी बालाजी की आरती (Shri Balaji Hanumanji Ki Aarti)

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श्री हनुमान जी बालाजी की आरती

श्री हनुमान जी बालाजी की आरती-

ॐ जय हनुमत वीरा, स्वामी जय हनुमत वीरा।

संकट मोचन स्वामी, तुम हो रनधीरा ॥

॥ ॐ जय हनुमत वीरा ॥

पवन पुत्र अंजनी सूत, महिमा अति भारी।

दुःख दरिद्र मिटाओ, संकट सब हारी ॥

॥ ॐ जय हनुमत वीरा ॥

बाल समय में तुमने, रवि को भक्ष लियो।

देवन स्तुति किन्ही, तुरतहिं छोड़ दियो ॥

॥ ॐ जय हनुमत वीरा ॥

कपि सुग्रीव राम संग मैत्री करवाई।

अभिमानी बलि मेटयो कीर्ति रही छाई ॥

॥ ॐ जय हनुमत वीरा ॥

जारि लंक सिय-सुधि ले आए, वानर हर्षाये।

कारज कठिन सुधारे, रघुबर मन भाये ॥

॥ ॐ जय हनुमत वीरा ॥

शक्ति लगी लक्ष्मण को, भारी सोच भयो।

लाय संजीवन बूटी, दुःख सब दूर कियो ॥

॥ ॐ जय हनुमत वीरा ॥

रामहि ले अहिरावण, जब पाताल गयो।

ताहि मारी प्रभु लाय, जय जयकार भयो ॥

॥ ॐ जय हनुमत वीरा ॥

राजत मेहंदीपुर में, दर्शन सुखकारी।

मंगल और शनिश्चर, मेला है जारी ॥

॥ ॐ जय हनुमत वीरा ॥

श्री बालाजी की आरती, जो कोई नर गावे।

कहत इन्द्र हर्षित, मनवांछित फल पावे ॥

॥ ॐ जय हनुमत वीरा ॥

श्री हनुमान

श्री हनुमान (संस्कृत: हनुमान्, आंजनेय और मारुति भी) परमेश्वर की भक्ति (हिन्दू धर्म में भगवान की भक्ति) की सबसे लोकप्रिय अवधारणाओं और भारतीय महाकाव्य रामायण में सबसे महत्वपूर्ण व्यक्तियों में प्रधान हैं। वह भगवान शिवजी के वें 11 वेें रुद्रावतार, सबसे बलवान और बुद्धिमान माने जाते हैं।[1] रामायण के अनुसार वे जानकी के अत्यधिक प्रिय हैं। इस धरा पर जिन सात मनीषियों को अमरत्व का वरदान प्राप्त है, उनमें बजरंगबली भी हैं। हनुमान जी का अवतार भगवान राम की सहायता के लिये हुआ। हनुमान जी के पराक्रम की असंख्य गाथाएँ प्रचलित हैं। इन्होंने जिस तरह से राम के साथ सुग्रीव की मैत्री कराई और फिर वानरों की मदद से राक्षसों का मर्दन किया, वह अत्यन्त प्रसिद्ध है।

ज्योतिषीयों के सटीक गणना के अनुसार हनुमान जी का जन्म 58 हजार 112 वर्ष पहले त्रेतायुग के अन्तिम चरण में चैत्र पूर्णिमा को मंगलवार के दिन चित्रा नक्षत्रमेष लग्न के योग में सुबह 6.03 बजे भारत देश में आज के झारखण्ड राज्य के गुमला जिले के आंजन नाम के छोटे से पहाड़ी गाँव के एक गुफा में हुआ था।

इन्हें बजरंगबली के रूप में जाना जाता है क्योंकि इनका शरीर एक वज्र की तरह है। वे पवन-पुत्र के रूप में जाने जाते हैं। वायु अथवा पवन (हवा के देवता) ने हनुमान को पालने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

मारुत (संस्कृत: मरुत्) का अर्थ हवा है। नन्दन का अर्थ बेटा है। हिन्दू पौराणिक कथाओं के अनुसार हनुमान “मारुति” अर्थात “मारुत-नन्दन” (हवा का बेटा) हैं।

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