नई दिल्ली– आज देश के प्रथम उपराष्ट्रपति और द्वितीय राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जयंती है। डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जयंती को देशभर में शिक्षक दिवस के रुप में मनाया जाता है। इस दिन देश के प्रतिष्ठित शिक्षकों या कहें उन शिक्षकों को सम्मानित किया जाता है जिन्होंने देश के उत्थान में महत्तवपूर्ण भूमिका अदा की हो। देशभर के स्कूलों में भी इस दिन शिक्षकों का सम्मान किया जाता है और बच्चे अपने शिक्षकों को उपहार देकर उनके प्रति अपनी कृतज्ञता व्यक्त करते हैं। पर क्या आप जानते हैं डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के पिता अध्यापक नहीं उन्हें पुजारी बनाना चाहते थे।
शिक्षक दिवस देशभर के अध्यापकों को समर्पित एक दिन है। डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन भारतीय संस्कृति के संवाहक, प्रख्यात शिक्षाविद और महान दार्शनिक थे।
पापा नहीं चाहते थे सर्वपल्ली जी पढ़ाई करें!
आपको जानकर हैरानी होगी कि डॉ. सर्वपल्ली जी के पिता बिल्कुल नहीं चाहते थे कि वे पढ़ाई करें। दरअसल डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन एक गरीब ब्राह्मण के परिवार से ताल्लुक रखते थे। उनके पिता चाहते थे कि वे मंदिर में पुजारी का काम करें, पर डॉ. सर्वपल्ली को पढ़ाई बहुत पसंद थी और इसलिए उन्होंने परिस्थितियां विपरित होने के बाद भी अपनी पढ़ाई नहीं छोड़ी।
डॉ. सर्वपल्ली संपूर्ण विश्व को ही स्कूल मानते थे
डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन संपूर्ण विश्व को एक विद्यालय मानते थे। वे शिक्षा पर हमेशा ज़ोर देते थे। डॉ. सर्वपल्ली मानते थे कि शिक्षा से ही जीवन का विकास संभव है। शिक्षा के माध्यम से ही मनुष्य अपने मस्तिष्क का उपयोग बेहतर रुप से कर सकता है।