
केंद्रीय मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने ‘नौवहन और महासागर व्यवसाय’ पर मंत्रिस्तरीय चर्चा में भाग लिया और ‘सभी के लिए विकास’ सुनिश्चित करने वाले भारत के महासागर विजन की पुन:पुष्टि की
केंद्रीय पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने आज कोलकाता स्थित गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स लिमिटेड (जीआरएसई) और नॉर्वे के कोंग्सबर्ग के बीच एक महत्वपूर्ण समझौता ज्ञापन संबंधी हस्ताक्षर समारोह में भाग लिया। यह समझौता ज्ञापन भारत के लिए स्वदेशी रूप से अपना पहला ध्रुवीय अनुसंधान पोत (पीआरवी) बनाने का मार्ग प्रशस्त करता है।
इस अवसर पर बोलते हुए सर्बानंद सोनोवाल ने कहा, “यह समझौता ज्ञापन आशा और प्रगति का एक प्रतीक बने, जो वैज्ञानिक उन्नति और सतत विकास के प्रति भारत की अटूट प्रतिबद्धता को दर्शाता है । हम सब मिलकर केवल एक पोत का निर्माण नहीं कर रहे,, बल्कि एक विरासत निर्माण कर रहे हैं – नवाचार, अन्वेषण और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग की एक विरासत जो आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करेगी। प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में, यह समझौता ज्ञापन वैज्ञानिक खोज को बढ़ावा देने, ध्रुवीय और महासागर अनुसंधान में भारत की क्षमताओं को आगे बढ़ाने और जलवायु परिवर्तन जैसी गंभीर चुनौतियों को संबोधित करने के वैश्विक प्रयासों में योगदान करने की प्रतिबद्धता है। यह पोत नवीनतम वैज्ञानिक उपकरणों से लैस होगा, जो हमारे शोधकर्ताओं को महासागरों की गहराई का पता लगाने, समुद्री इकोसिस्ट्मस और हमारे ग्रह के अतीत, वर्तमान और भविष्य में नई अंर्तदृष्टि को उजागर करने में सक्षम करेगा । ये देश की महत्वपूर्ण जहाज निर्माण क्षमताओं का एक प्रमाण होगा – जो सरकार की ‘मेक इन इंडिया’ पहल को और बढ़ावा देगा। यह सभी हितधारकों को उनके समर्पण के लिए बधाई देता हूं और उस दिन की प्रतीक्षा कर रहा हूं जब यह ध्रुवीय अनुसंधान पोत देश की आकांक्षाओं को दुनिया के सुदूर कोनों तक ले जाएगा ।’’
जीआरएसई और कोंग्सबर्ग के बीच यह समझौता ज्ञापन देश के जहाज निर्माण क्षेत्र के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि को दर्शाता है, क्योंकि इसे पीआरवी विकसित करने के लिए डिजाइन विशेषज्ञता प्राप्त होगी, इसके साथ ही राष्ट्रीय ध्रुवीय और महासागर अनुसंधान केंद्र (एनसीओपीआर) की आवश्यकता को भी ध्यान में रखा जाएगा, जो इसका उपयोग ध्रुवीय और दक्षिणी महासागर क्षेत्रों में अनुसंधान गतिविधियों के लिए करेगा। जीआरएसई, युद्धपोतों, सर्वेक्षण और अनुसंधान पोतों जैसे जटिल समुद्री प्लेटफार्मों के निर्माण के अपने समृद्ध अनुभव के साथ, इस पीआरवी का निर्माण कोलकाता में अपने यार्ड में निर्माण करेगा, जिससे सरकार की ‘मेक इन इंडिया’ पहल को बढ़ावा मिलेगा। कोंग्सबर्ग के साथ-साथ जीआरएसई के नेतृत्व ने इस कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री, नॉर्वे और भारत के वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों के साथ भाग लिया।
सोनोवाल ने नौवहन और महासागर व्यवसाय बैठक में भारत के महासागर विजन की पुन:पुष्टि की
सोनोवाल ने ‘भविष्य को आकार देने में नौवहन की भूमिका’ पर एक उच्च-स्तरीय मंत्रिस्तरीय बैठक में भारत का प्रतिनिधित्व भी किया। बैठक ने उद्योग को एक स्थिर, दीर्घकालिक विनियामक वातावरण के साथ संरेखित करने की आवश्यकता पर जोर दिया गया, जो एक समावेशी और डीकार्बोनाइज्ड महासागर-आधारित व्यापार का समर्थन करता है। ब्राजील, जापान, संयुक्त राष्ट्र, अमेरिका, चीन और नॉर्वे के मंत्रियों ने इस बैठक में श्री सोनोवाल के साथ भाग लिया।
बैठक में बोलते हुए केंद्रीय मंत्री श्री सर्बानंद सोनोवाल ने कहा, “माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने भारत के “सभी के लिए विकास” के विजन की घोषणा की , जिसे सागर ( क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा और विकास) के रूप में व्यक्त किया गया है । इस विजन का मुख्य उद्देश्य भारत की विशाल तटरेखा, रणनीतिक स्थिति और समुद्री विरासत का लाभ उठाना है ताकि आर्थिक समृद्धि को बढ़ावा दिया जा सके, क्षेत्रीय सुरक्षा को बढ़ाया जा सके और सभी हितधारकों के लिए सतत विकास सुनिश्चित किया जा सके। इसमें आर्थिक सहयोग, क्षमता निर्माण, आपदा प्रबंधन, सूचना साझाकरण और पर्यावरणीय संरक्षण शामिल है। सागर पहल से आगे बढ़ते हुए भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने महासागर की घोषणा की – जो क्षेत्रों में सुरक्षा के लिए आपसी और समग्र उन्नति है, जो समग्र समुद्री जुड़ाव और विकास के लिए आगे के समेकन और एक विस्तारित दृष्टिकोण का संकेत देता है।”
सर्बानंद सोनोवाल ने आगे कहा, “प्रारंभिक चरण की सफलता के आधार पर मेरे मंत्रालय का सागरमाला 2.0 कार्यक्रम महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे की कमियों को दूर करने, जहाज निर्माण, जहाज मरम्मत और पुनर्चक्रण को बढ़ावा देने और भारत को एक वैश्विक समुद्री अग्रणीय देश के रूप में स्थापित करने पर केंद्रित है। पोत परिवहन और महासागर व्यवयास पर भारत सरकार का दृष्टिकोण मजबूत अंतरराष्ट्रीय सहयोग और स्थिरता तथा हरित पहलों के प्रति एक मजबूत प्रतिबद्धता के जरिए आपसी और समग्र विकास को बढ़ावा देना है।”
केंद्रीय मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने नॉर्वे के जहाज मालिकों के साथ गोलमेज बैठक की और भारत के समुद्री क्षेत्र में निवेश आमंत्रित किया
केंद्रीय पत्तन पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्री श्री सर्बानंद सोनोवाल ने आज नॉर्वेजियन शिपऑनर्स एसोसिएशन (एनएसए) के साथ एक गोलमेज बैठक के दौरान नॉर्वे के जहाज मालिकों को भारत के बढ़ते समुद्री क्षेत्र में निवेश करने के लिए आमंत्रित किया। एनएसए के अध्यक्ष हेराल्ड फोटलैंड को संवाद की मेजबानी के लिए धन्यवाद देते हुए श्री सोनोवाल ने भारत और नॉर्वे के स्थिरता, नवाचार और आपसी विकास के साझा मूल्यों पर प्रकाश डाला ।
केंद्रीय मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने कहा, ‘‘भारत का समुद्री क्षेत्र स्थिरता, नवाचार और वैश्विक साझेदारी से प्रेरित होकर एक परिवर्तनकारी पथ पर है। हम एक हरित, स्मार्ट और प्रतिस्कंदी समुद्री इकोसिस्टम बनाने के लिए नॉर्वे के साथ अधिक सहयोग का आह्वान करते हैं। हरित बंदरगाहों, हरित हाइड्रोजन जैसे वैकल्पिक ईंधन और रणनीतिक प्रोत्साहनों में बड़े निवेश के साथ, भारत का लक्ष्य जहाज निर्माण में वैश्विक अग्रणी देश बनना है। नॉर्वे के साथ हमारी बढ़ती साझेदारी – भारतीय शिपयार्ड द्वारा नॉर्वेजियन फर्मों को अगली पीढ़ी के जहाज देने में परिलक्षित – लागत प्रभावी और स्थायी समुद्री समाधानों के लिए एक विश्वसनीय, भविष्य के लिए तैयार केंद्र के रूप में भारत के उद्भव को दर्शाती है। आइए हम लोग मिलकर इस गति की रफ्तार और बढ़ाएं। ”
बैठक के दौरान सर्बानंद सोनोवाल ने भारत-नॉर्वे समुद्री सहयोग के प्रमुख क्षेत्रों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि भारतीय शिपयार्ड वर्तमान में नॉर्वेजियन शिपऑनर्स एसोसिएशन के ऑर्डर बुक का 11 प्रतिशत हिस्सा रखते हैं। उन्होंने भारत की शिप-ब्रेकिंग क्रेडिट नोट योजना का लाभ उठाने सहित आगे के ऑर्डर के विस्तार का आग्रह किया । एनएसए के वैश्विक बेड़े में दूसरे स्थान पर रहने वाले भारत के मजबूत समुद्री कार्यबल पर जोर देते हुए उन्होंने व्यापक भर्ती भागीदारी का आह्वान किया। उन्होंने भारत के प्रमुख सागरमाला कार्यक्रम और 2.9 बिलियन डॉलर के समुद्री विकास कोष के तहत उपलब्ध महत्वपूर्ण निवेश अवसरों को भी रेखांकित किया , जो जहाज निर्माण, बंदरगाहों और रसद में प्रोत्साहन प्रदान करते हैं। केंद्रीय मंत्री ने ओएनओपी और मैत्री जैसे डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म के माध्यम से नवाचार के लिए भारत की प्रतिबद्धता पर जोर दिया और हरित पोत परिवहन गलियारों, जहाज पुर्नचक्ररण और आईएमओ-संरेखित नेट-शून्य लक्ष्यों में नॉर्वे के सहयोग को आमंत्रित किया, यह देखते हुए कि 87 प्रतिशत भारतीय पुर्नचक्ररण यार्ड अब एचकेसी के अनुरूप हैं।
केंद्रीय मंत्री सर्बानंद सोनोवाल नॉर-शिपिंग कार्यक्रम में भाग लेने के लिए नॉर्वे की पांच दिवसीय आधिकारिक यात्रा पर हैं और साथ ही वे डेनमार्क की भी यात्रा करेंगे, जिसका एक मुख्य उद्देश्य वैश्विक समुद्री क्षेत्र के नेतृत्व के साथ समुद्री संबंधों को और मजबूत करना है।