यूपी में जो डॉक्टर बचाने के बहाने मनमाने पैसे वसूलते थे, वो आज मरीजों को पैसे देकर माफी की भीख मांग रहे हैं। क्योंकि योगी सरकार ने सिर्फ कहा नहीं है, नियम की जांच करते हुए लाइसेंस रद्द करने भी शुरु कर दिए हैं।
कोरोनाकाल में ज्यादा पैसा वसूलने वाले अस्पतालों पर योगी सरकार का हंटर चल रहा है, जिस-जिस अस्पताल ने सरकार के नियमानुसार बनाए बिलिंग सिस्टम से ज्यादा चार्ज लगाए हैं, अब या तो उन्हें एक-एक मरीज के घर तक ज्यादा चार्ज किए पैसे को पहुंचकर लौटाना पड़ेगा, वर्ना उनका लाइसेंस रद्द समझिए और मरीजों को पैसा फिर भी मिलेगा, क्योंक योगी सरकार ने नियम बना दिया है।
यूपी में अस्पतालों में मची लूट की खबरों के बात पर योगी सरकार पूरी तरह सख्त नजर आ रही है। सरकार ने निर्देश जारी कर दिए हैं, कि पिछले कुछ महीनों में जिस किसी अस्पताल ने जिस किसी मरीज से आईसीयू, वार्ड या दवाओं के तय रेट से ज्यादा चार्ज लिया है, उसे एक एक मरीज के घर तक वापस पहुंचाना होगा। ऐसा ना करने की स्थिती में अस्पताल का लाइसेंस तो रद्द होगा ही, साथ ही वर्किंग डॉक्टर्स और स्टाफ का भी मेडिकल रजिस्ट्रेशन रद्द हो सकता है।
हालात ये हैं कि यही वजह है कि पहले मरीज के भर्ती होने के दौरान पैसे ना देने पर इलाज ना करने और मरीज के मरने की गीदड़भभकी देने वाले अस्पताल और डॉक्टर्स पैसा लेकर मरीजों के घर तक भाग रहे हैं कि इन्हें वापस ले लो और हमें लिखित में दे दो।
अगर ऐसा ही फॉर्मूला देशभर में पूरे साल के लागू हो जाएं, तो मरीजो के घर बिकने से बच सकते हैं। गौरतलब है कि दिल्ली समेत कई राज्यों में ऐसे कानूनों की बात तो हुई है, लेकिन जिस प्रभावी तरीके से योगी सरकार ने इस योजना पर अमल करते हुए पुलिस प्रसाशन से अस्पतालों को सील करने के निर्देश दे दिए हैं, जनता बहुत खुश है।
योगी सरकार का ये फॉर्मूला वाकई में कामयाब होता दिख रहा है और हर जगह खासतौर पर गरीबों में, मध्यमवर्गिय परिवारों ने योगी जी के इस कदम से आपदाकाल में राहत की सांस ली है।