
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में बुधवार को आयोजित उत्तराखंड कैबिनेट बैठक में प्रदेश के विकास को गति देने वाले 11 अहम प्रस्तावों को मंजूरी प्रदान की गई। इनमें योग नीति 2025 और नई मेगा इंडस्ट्रियल व इन्वेस्टमेंट पॉलिसी सबसे महत्वपूर्ण मानी जा रही हैं। यह दोनों योजनाएं प्रदेश में रोजगार सृजन, निवेश प्रोत्साहन और पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए मील का पत्थर साबित हो सकती हैं।
स्थानीय फर्मों को मिलेगा अधिक मौका
राज्य सरकार ने स्थानीय उद्यमियों को बढ़ावा देने के लिए बड़ा कदम उठाया है। अब 10 करोड़ रुपये तक के सरकारी कार्यों को केवल राज्य के स्थानीय व्यक्तियों और पंजीकृत फर्मों को ही आवंटित किया जाएगा। पहले यह सीमा केवल 5 करोड़ रुपये थी। इसके साथ ही स्वयं सहायता समूहों और सूक्ष्म, लघु व मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) को भी प्राथमिकता दी जाएगी। यह निर्णय प्रदेश में स्थानीय कारोबार को बढ़ावा देने और बेरोजगारी पर अंकुश लगाने की दिशा में महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
उत्तराखंड बनेगा ‘योग प्रदेश’
कैबिनेट ने प्रदेश की पहली योग नीति 2025 को स्वीकृति दी है, जिसके तहत उत्तराखंड को वैश्विक योग हब बनाने की योजना है। नीति के तहत जागेश्वर, मुक्तेश्वर, व्यास घाटी, टिहरी और कोली ढेक जैसे क्षेत्रों को योग हब के रूप में विकसित किया जाएगा। पर्वतीय क्षेत्रों में योग से जुड़े निवेश पर 50% तक और मैदानी क्षेत्रों में 25% तक सब्सिडी दी जाएगी। इस योजना से राज्य में करीब 13,000 नए रोजगार सृजित होने की संभावना है। साथ ही, 2500 योग शिक्षकों को सर्टिफिकेशन बोर्ड से मान्यता दिलाई जाएगी और 10,000 से अधिक योग अनुदेशकों को होमस्टे, होटल व पर्यटन क्षेत्रों में रोजगार मिलने की उम्मीद है। योग और प्राकृतिक चिकित्सा में अनुसंधान को प्रोत्साहित करने के लिए ₹1 करोड़ का विशेष प्रावधान भी रखा गया है।
निवेश को मिलेगा बल
कैबिनेट बैठक में मेगा इंडस्ट्रियल और इन्वेस्टमेंट पॉलिसी को भी मंजूरी दी गई। इसके तहत बड़े उद्योगों को 10% से 20% तक पूंजीगत अनुदान प्रदान किया जाएगा। यह सहायता वाणिज्यिक उत्पादन शुरू होने के बाद 8 से 15 वर्षों की अवधि में किस्तों के रूप में दी जाएगी। साथ ही, भूमि खरीद पर अधिकतम ₹50 लाख तक की स्टाम्प ड्यूटी में 50% की छूट दी जाएगी। विशेष रूप से पहाड़ी क्षेत्रों में अतिरिक्त पूंजीगत सहायता देने का प्रावधान भी रखा गया है, ताकि वहां के विकास को प्रोत्साहन मिल सके।
सेवा क्षेत्र नीति में बदलाव
राज्य सरकार ने सेवा क्षेत्र में निवेश को लेकर नई दिशा तय की है। देहरादून, मसूरी, ऋषिकेश, मुनि की रेती और नैनीताल जैसे विकसित क्षेत्रों में अब सेवा क्षेत्र में निवेश के लिए किसी प्रकार की सब्सिडी नहीं दी जाएगी। इससे इन क्षेत्रों के बाहर के पिछड़े इलाकों में सेवा क्षेत्र का विकास होने की संभावना बढ़ेगी।
स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूती
स्वास्थ्य क्षेत्र में भी सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। राज्य आयुष्मान योजना के गोल्डन कार्ड धारकों के इलाज में आ रही कठिनाइयों को दूर करने के लिए 75 करोड़ रुपये की पहली किस्त जारी कर दी गई है। यह राशि स्वास्थ्य विभाग को ऋण के रूप में दी जाएगी ताकि योजना के सुचारु संचालन में कोई बाधा न आए।
तीमारदारों के लिए बनेंगे विश्रामगृह
देहरादून और हल्द्वानी मेडिकल कॉलेजों में इलाज के लिए आने वाले मरीजों के तीमारदारों को अब सस्ते दरों पर ठहरने और भोजन की सुविधा मिल सकेगी। इसके लिए स्वयंसेवी संस्थाओं के सहयोग से विश्रामगृह बनाए जाएंगे। सरकार इन विश्रामगृहों के निर्माण के लिए भूमि उपलब्ध कराएगी। यह सुविधा गरीब और दूर-दराज से आने वाले तीमारदारों के लिए अत्यंत लाभकारी सिद्ध होगी।
मुख्यमंत्री धामी सरकार की यह कैबिनेट बैठक राज्य के आर्थिक, सामाजिक और स्वास्थ्य ढांचे को मज़बूत करने की दिशा में एक दूरदर्शी कदम माना जा रहा है। योग, उद्योग, स्वास्थ्य और स्थानीय रोजगार को लेकर लिए गए ये फैसले उत्तराखंड को आत्मनिर्भर बनाने की ओर अग्रसर करेंगे।