वीगर मुसलमानों का उत्पीड़न मामला: यूरोप और अमेरिका ने चीन पर प्रतिबंध लगाए

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कई पश्चिमी यूरोपीय देशों ने चीन के अधिकारियों पर वीगर मुसलमानों के मानवाधिकार उत्पीड़न को लेकर प्रतिबंधों की घोषणा की है। चीन ने देश के उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र शिनजियांग में कैंपों में वीगर मुसलमानों को हिरासत में रखा है। आरोप है कि इन कैंपों में बंद लोगों को यातनाएं दी जा रही हैं, उनसे ज़बरदस्ती काम करवाया जा रहा है। यौन उत्पीड़न के आरोप भी सामने आए हैं। अमेरिका, कनाडा, ब्रिटेन और यूरोपीय संघ के साझा प्रयास के बाद इन प्रतिबंधों की घोषणा की गई है। इसके जवाब में चीन ने भी यूरोपीय अधिकारियों पर अपने प्रतिबंधों की घोषणा की है।

चीन कैंपों में मानवाधिकार उत्पीड़न के आरोपों को नकारता रहा है। चीन का कहना है कि ये कैंप पुनर्शिक्षा केंद्र हैं जिनका मक़सद आतंकवाद से लड़ना है। लेकिन ब्रितानी विदेश मंत्री डोमीनिक राब का कहना है कि चीन के कैंपों में वीगर मुसलमानों का उत्पीड़न हमारे दौर का सबसे गंभीर मानवाधिकार संकट हैं और अंतरराष्ट्रीय समुदाय इससे आंखें नहीं मूंद सकता है। उन्होंने कहा है कि जिस तरह से वीगर मुसलमानों के साथ सलूक किया जा रहा है वो मूल मानवाधिकारों का घोर उल्लंघन हैं।

यूरोपीय संघ ने 1989 के थियानमन चौक नरसंहार के बाद से चीन पर मानवाधिकार उल्लंघन को लेकर प्रतिबंध नहीं लगाए थे। 1989 में चीन के सैनिकों ने लोकतंत्र समर्थक प्रदर्शनकारियों पर गोली चला दी थी। इन प्रतिबंधों में शिनजियांग प्रांत के वरीष्ठ अधिकारियों को निशाना बनाया गया है। इन पर वीगर मुसलमानों के मानवाधिकार उल्लंघन के आरोप हैं। प्रतिबंधों में यात्रा प्रतिबंध और संपत्ति ज़ब्त किया जाना भी शामिल है। मानवाधिकार समूहों का कहना है कि चीन ने दस लाख से अधिक अल्पसंख्यक वीगर मुसलमानों के कैंपों में हिरासत में रखा हुआ है।

वहीं इसकी प्रतिक्रिया में चीन ने सोमवार को कहा है कि ये प्रतिबंध झूठ पर गलत सूचनाओं पर आधारित हैं। चीन ने कहा है कि वो यूरोपीय संघ के दस लोगों और चार संस्थाओं पर प्रतिबंध लगाएगा। चीन का कहना है कि ये चीन की संप्रभुता और राष्ट्रीय हितों के ख़िलाफ़ मिथ्य प्रचार में लिप्त हैं।

चीन में यूरोपीय सांसदों के दल का नेतृत्व करने वाले जर्मन नेता राइनहार्ड बूतीकॉफर चीन की तरफ से प्रतिबंधित अधिकारियों की सूची में शामिल हैं। शिनजियांग में चीन की नीतियों पर शीर्ष अकादमिक एड्रियान ज़ेंज़ और स्वीडन के स्कॉलर जॉर्न जेर्डन भी चीन की सूची में शामिल हैं।

चीन के प्रतिबंधों के तहत यूरोप के इन लोगों के चीन आगमन और यहां व्यापार करने पर रोक रहेगी। दोनों तरफ़ से लगाए गए ये प्रतिबंध यूरोप और चीन के बीच कूटनीतिक संबंधों में आई बड़ी दरार है। चीन और यूरोप बड़े व्यापारिक साझेदार हैं और दोनों के रिश्ते आमतौर पर अच्छे रहे हैं।