भारत में कमाई का कड़वा सच, टैक्स में 12 लाख की छूट, हकीकत में आमदनी 13.5 हजार भी मुश्किल

4

भारत में भले ही इनकम टैक्स छूट की सीमा बढ़ाकर 12 लाख रुपये कर दी गई हो, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही कहानी बयां करती है। हाल ही में जारी इकोनॉमिक सर्वे 2024-25 के आंकड़े बताते हैं कि देश के आम नागरिक की औसत कमाई आज भी बेहद कम है।

रिपोर्ट की माने तो देश में पुरुषों की औसत मासिक कमाई महज ₹13,279 है, जबकि महिलाओं की औसत आय सिर्फ ₹7,932 है। ग्रामीण इलाकों में यह फासला और भी ज्यादा चौकाने वाला है जहां ग्रामीण महिलाओं की मासिक कमाई मात्र ₹4,907 है।

स्वरोज़गार में लगे पुरुष औसतन ₹13,907 कमाते हैं, जबकि महिलाएं आधे से भी कम यानी ₹4,907 प्रति माह पर संघर्ष कर रही हैं । शहरी क्षेत्रों में स्थित थोड़ी बेहतर है, लेकिन वहां भी महिलाओं की औसत कमाई ₹8,489 से आगे नहीं बढ़ पाई। हालांकि ये भी सच्चाई है कि ग्रामीण इलाकों के मुकाबले शहर के खर्च भी उसी अनुसार ज्यादा होने चाहिएं। नियमित रोजगार की स्थिति में भी तस्वीर कुछ अलग नहीं है। ग्रामीण इलाकों में नियमित नौकरी करने वाली महिलाओं की औसत कमाई ₹11,914 है, जबकि शहरी इलाकों में ये ₹19,709 तक पहुंचती है। इसके मुकाबले शहरी पुरुष ₹25,501 प्रतिमाह कमा रहे हैं।

ग्रामीण महिलाएं सिर्फ 290 रुपए प्रतिदिन कमा पाती हैं और पुरुष मजदूर 434 रुपए

सबसे खराब हालात अनौपचारिक मजदूरों (कैज़ुअल वर्कर्स) के हैं, जो दिन-प्रतिदिन की मजदूरी पर निर्भर हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में एक महिला मजदूर रोज़ाना औसतन केवल ₹290 कमा पाती है, जबकि पुरुष मजदूर ₹434 कमाते है। शहरी मजदूरों की भी हालत कुछ बेहतर नही कही जा सकती है जहां महिला मजदूर ₹354 और पुरुष मजदूर ₹529 प्रतिदिन कमाते हैं।
स्पष्ट है कि इनकम टैक्स की 12 लाख की छूट पाने लायक होने के लिए भारतीय ग्रामीण और शहरी दोनों तबकों के लोगों के लिए एक सपना ही है। जमीनी सच्चाई यह है कि देश के आम पुरुष और महिलाएं आज भी महीने की 5 तारीख के बाद तंगी का सामना करते हैं।

लोगों की कम आय के बावजूद दुनिया की तीसरी बड़ी 5 ट्रिलियन इकोनमी बनने की ओर बढ़ता भारत

ये बात सब जानते हैं कि भारत 5 ट्रिलियन इकोनमी बनने की ओर अग्रसर है, लेकिन इकोनोमिक सर्वे के आंकड़े दर्शा रहे हैं कि अभी भी भारत में जमीनी आर्थिक हालात अच्छे करने के लिए बड़े स्तर पर मैन्यूफैक्चरिंग और अन्य व्यवसायों को शुरु करने की जरुरत है, ताकि भारत सिर्फ आंकड़ों में बड़ा न हो, उसके हर नागरिक के पास आर्थिक ताकत बेहतर हो।