सिंगापुर की जनता ने अपने नए राष्ट्रपति के तौर पर भारतीय मूल के थर्मन शनमुगरत्नम को चुना है. हालांकि वहां के कई लोग उनके राष्ट्रपति चुने जाने से निराश भी हैं.
शुक्रवार को थर्मन ने रिकॉर्ड 70.4 फ़ीसदी वोट हासिल कर चुनावों में आसान जीत हासिल की.
करीब एक दशक से ज़्यादा वक़्त के दौरान कोई चुनाव इस कदर विवाद में नहीं रहा. थर्मन ने इसमें दो उम्मीदवारों को हराकर भारी बहुमत से जीत हासिल की है. थर्मन मंत्री रह चुके हैं.
इस बार के चुनावों में वो पहले ही स्पष्ट रूप से बढ़त ले चुके थे. सिंगापुर के लोगों में उनकी छवि एक अच्छे वक्ता, एक बुद्धिमान व्यक्ति और शहरी नेता की है. वो सिंगापुर के सबसे जानेमाने राजनेताओं में से भी एक हैं.
यही कारण है कि जब थर्मन शनमुगरत्नम ने सत्ताधारी पीपल्स एक्शन पार्टी (पीएपी) से अलग हो कर राष्ट्रपति चुनाव में बतौर उम्मीदवार खड़े होने का फ़ैसला किया तो कई लोगों को आश्चर्य हुआ. कइयों ने ये कहकर उनके फ़ैसले की आलोचना की कि वो अपनी क्षमता को बर्बाद कर रहे हैं.
भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने थर्मन शनमुगरत्नम को राष्ट्रपति चुने जाने पर बधाई दी.
उन्होंने कहा, “भारत और सिंगापुर के द्विपक्षीय रिश्तों को और मज़बूत करने की दिशा में आपके साथ काम करने मुझे खुशी होगी.”
Hearty congratulations @Tharman_s on your election as the President of Singapore. I look forward to working closely with you to further strengthen the India-Singapore Strategic Partnership.
— Narendra Modi (@narendramodi) September 2, 2023
सिंगापुर में राष्ट्रपति की भूमिका मौटे तौर पर औपचारिक होती है और उन्हें अधिक शक्तियां नहीं दी जातीं. हालांकि सिंगापुर के वित्त भंडार से जुड़ी कुछ ताकत उनके हाथों में ज़रूर होती है. राष्ट्रपति के पास सरकार और सार्वजनिक मामलों में बोलने की शक्ति बेहद सीमित होती है.
सरकार के पास राष्ट्रपति को पद से हटाने की ताकत होती है. यहां की सरकार पहले ही साफ़ कर चुकी है कि राष्ट्रपति पूरी स्वतंत्रता के साथ बात नहीं कर सकते और उनकी भूमिका कुछ वैसी ही रहेगी जैसी ब्रिटेन में महारानी की.
माना जाता है कि ये औपचारिक पद उन नेताओं के लिए सही हो सकता है जो शांत स्वभाव वाले हैं और विवादों से दूर रहना पसंद करते हैं, जैसा कि पहले के कई राष्ट्रपति थे. लेकिन थर्मन का मामला दूसरों से अलग है.
इससे पहले वित्त मंत्री और डिप्टी प्रधानमंत्री के रूप में उन्होंने सिंगापुर के राजनीतिक नेतृत्व की मदद की थी. वो अर्थशास्त्री हैं. वो संयुक्त राष्ट्र और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष जैसे वैश्विक संगठनों में काम कर चुके हैं. एक वक्त वो भी था जब ये कयास लगाए जा रहे थे कि वो मुद्रा कोष के प्रमुख बन सकते हैं.
राष्ट्रपति पद की रेस में शामिल तीन उम्मीदवार
1. थर्मन शनमुगरत्नम – 70.4 फ़ीसदी वोट
2. आं कोक सॉन्ग -15.7 फ़ीसदी वोट
3. तान किन लियान -13.88 फ़ीसदी वोट