Review : थप्पड़ सवाल ये नहीं कि थप्पड़ मारा, सवाल ये है कि क्यों मारा?

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थप्पड़…शब्द छोटा है, लेकिन जब लगती है ना, तो अच्छे-अच्छों के आखों से आसूं निकाल देती है। सवाल ये नहीं की थप्पड़ मारा सवाल ये है कि थप्पड़ क्यों मारा.. अगर इज्जत नहीं दे सकते तो बेइज्जत भी मत करो…पति के थप्पड़ मारने पर पत्नी तलाक दे दे.. तो सवालों की आग अपने घर से उठती है कि लोग क्या कहेंगे… समाज क्या कहेगा…थप्पड़ के लिए पति को छोड़ दिया…अब जिंदगी भर अकेली रहेगी, कौन साथ देगा?  

कुछ इन्ही सवालों के साथ अनुभव सिंहा पेश करते हैं तापसी पन्नू स्टारर ‘थप्पड़’ जहां पति विक्रम दफ्तर के नशे में चूर होकर घर और पत्नी की तरफ ध्यान ही नहीं देता वहीं दूसरी तरफ उसकी पत्नी अमृता अपने पति का ध्यान एक मां की तरह रखती है। वहीं घर में छोटे से गेट-टूगैदर के दौरान विक्रम सबके सामने अमृता को थप्पड़ मार देता है। तब सवाल पति-पत्नी के रिश्ते पर नहीं बल्कि एक औरत के आत्मसम्मान का होता है। इस थप्पड़ से आघात अमृता अपने पति को तलाक देने का मन बनाती है। क्योंकि वो समझ गई कि इतने वक्त से वो कई गलतियों के नजरअंदाज करती आई है,और ऐसे में शुरू होता है अमृता का एक ऐसा सफर जहां वो अलग-अलग औरतों से मिलती है, और कहानी जानती है।

फिल्म की कहानी शुरू में स्लो है लेकिन थप्पड़ के बाद दिल्चस्प हो जाती है। लेकिन फिल्म को हम पैसा वसूल कह सकते हैं क्योंकि ये कोई घरेलू कहानी नहीं है। ये उन औरतों के लिए है जो पति की जिम्मेदारी को अपना कर्त्वय समझ कर अपने आत्मसम्मान तक को भूल जाती है।