एक तरफ केंद्र सरकार ने पेट्रोल—डीजल पर थोड़ी राहत दी है, तो वहीं दूसरी तरफ आरबीआई ने फेस्टिव सीजन को देखते हुए रेपो रेट की दर को स्थिर रखने का फैसला किया है। जिसके बाद यह तय होगा कि इस फेस्टिवल में घर, कार या फिर टीवी व फ्रिज खरीदना महंगा नहीं होगा। अगले दो महीनों के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने रेपो रेट की दर को स्थिर रखने का फैसला किया है। इससे अब रेपो रेट पहले की जैसा 6.50 पर स्थिर रहेगा। लगातार दो बार बढ़ोतरी के बाद मौजूदा समय में रेपो रेट 6.50 फीसदी पर है। आरबीआई की यह बैठक 3 से 5 अक्टूबर तक चली। रिवर्स रेपो रेट 6.25 फीसदी पर कायम रहेगा।
तेल की कीमतों में वृद्धि के बावजूद महंगाई का आंकड़ा जुलाई के 4.17 फीसदी के मुकाबले अगस्त में 3.69 फीसदी पर रहा। वैश्विक घटनाक्रमों पर नजर डालें, तो रुपया कमजोर हुआ है और यह डॉलर के मुकाबले 73 के आसपास है। पिछले दो महीनों में खुदरा और थोक महंगाई काफी बढ़ गई है। पेट्रोल और डीजल के दाम भी लगातार बढ़ते गए, क्योंकि रुपया लगातार कमजोर होता गया। ग्लोबल मार्केट में कच्चे तेल की कीमतें इस साल लगभग 20 फीसदी बढ़ चुकी है और इस दौरान क्रूड ऑयल 85 डॉलर प्रति बैरल के स्तर से ऊपर चला गया है। क्रूड का यह स्तर 2014 के बाद का सर्वाधिक स्तर है।
बरकरार रखा जीडीपी ग्रोथ का अनुमान
आरबीआई ने वित्त वर्ष 2019 में जीडीपी ग्रोथ अनुमान को 7.4 फीसदी पर बरकरार रखा है। आरबीआई के मुताबिक अप्रैल-सितंबर में जीडीपी ग्रोथ 7.5-7.6 फीसदी रहने का अनुमान है। वहीं, जुलाई-सितंबर के बीच महंगाई दर 4.2 फीसदी रहने का अनुमान है।
अक्टूबर 2013 के बाद यह पहला मौका होगा जब रिजर्व बैंक ने लगातार दो बार ब्याज दरों में इजाफा किया है। अक्टूबर-मार्च के बीच महंगाई दर 4.8 फीसदी रहने का अनुमान है। मॉनिटरी पॉलिसी कमिटी की अगली बैठक 3-5 अक्टूबर को होगी।
आईए जानते हैं क्या है रेपो रेट
रेपो रेट वह दर होती है, जिस पर वाणिज्यिक बैंक रिजर्व बैंक से कर्ज लेते हैं। जब भी बैंकों के पास कोष की कमी होती है, तो वे इसकी भरपाई करने के लिए केंद्रीय बैंक से पैसे लेते हैं। रिजर्व बैंक की तरफ से दिया जाने वाला यह कर्ज जिस दर पर मिलता है, वही रेपो रेट कहलाता है। इसे हमेशा से रिजर्व बैंक ही तय करता है। रेपो रेट में कटौती या बढ़ोतरी करने का फैसला मौजूदा और भविष्य में अर्थव्यवस्था के संभावित हालात के आधार पर लिया जाता है।