प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने बुधवार को कुलपतियों की राष्ट्रीय संगोष्ठी को संबोधित किया. इस दौरान प्रधानमंत्री नई शिक्षा नीति से लेकर शिक्षा जगत के अलग-अलग विषयों पर अपनी बात रखी. भारत लोकतंत्र की जननी होने पर गर्व करता है, यह हमारे सामाजिक जीवन में निहित है. भारत की राष्ट्रीय शिक्षा नीति अत्याधुनिक और वैश्विक मानकों के अनुरूप है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आत्मनिर्भर भारत का जिक्र करते हुए कहा कि भारत ‘आत्मनिर्भरता’ के मार्ग पर चल रहा है जिससे कुशल युवाओं की भूमिका लगातार बढ़ रही है.
प्रधानमंत्री ने कहा कि बाबा साहेब के जीवन संदेश को जन-जन तक पहुंचाने के लिए भी आज देश काम कर रहा है. बाबा साहेब से जुड़े स्थानों को पंच तीर्थ के रूप में विकसित किया जा रहा है. पीएम ने कहा कि हर छात्र का अपना एक सामर्थ्य होता है, क्षमता होती है. इन्हीं क्षमताओं के आधार पर स्टूडेंट्स और टीचर्स के सामने तीन सवाल भी होते हैं. पहला- वो क्या कर सकते हैं? दूसरा- अगर उन्हें सिखाया जाए, तो वो क्या कर सकते हैं? और तीसरा- वो क्या करना चाहते हैं.
पीएम ने कहा कि डॉक्टर आंबेडकर कहते थे- ‘मेरे तीन उपास्य देवता हैं. ज्ञान, स्वाभिमान और शील.’ यानी, ज्ञान, स्वाभिमान, और शालीनता. उन्होंने कहा कि जब ज्ञान आता है, तब ही स्वाभिमान भी बढ़ता है. स्वाभिमान से व्यक्ति अपने अधिकार, अपने अधिकारों के लिए जागरूक होता है. और समान अधिकार से ही समाज में समरसता आती है, और देश प्रगति करता है.
पीएम ने कहा कि आज देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है तो उसी कालखंड में बाबासाहेब अम्बेडकर जी की जन्म जयंती का अवसर हमें उस महान यज्ञ से भी जोड़ता है भविष्य की प्रेरणा से भी जोड़ता है. मैं सभी देशवासियों की तरफ से बाबासाहेब को श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं.