प्रधानमंत्री ने राजस्थान वासियों को राजस्थान दिवस पर बधाई दी, इस दिन वीरता, दृढ़ इच्छाशक्ति और बलिदान को नमन किया जाता है

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राजस्थान दिवस अथवा राजस्थान स्थापना दिवस प्रत्येक साल 30 मार्च को मनाया जाता है।आपको बता दें कि आज राजस्थान का 72वां स्थापना दिवस मनाया जा रहा है। इस दिन राजस्थान के लोगों की वीरता, दृढ़ इच्छाशक्ति और बलिदान को नमन किया जाता है। इस दिन कई उत्सव तथा आयोजन होते हैं जिनमें राजस्थान की अनूठी संस्कृति का दर्शन होता है। राजस्थान का मतलब “राजाओं का स्थान” होता है। बता दें कि राजस्थान गुजरात, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और पंजाब से घिरा हुआ है। क्षेत्रफल के हिसाब से राजस्थान भारत का सबसे बड़ा राज्य है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राजस्थान वासियों को राजस्थान दिवस पर बधाई दी है,

एक ट्वीट में प्रधानमंत्री ने कहा है “शौर्य, स्वाभिमान और बलिदान की ऐतिहासिक धरती राजस्थान के समस्त निवासियों को राजस्थान दिवस की कोटि-कोटि शुभकामनाएं। प्रदेश प्रगति के पथ पर आगे बढ़े, यही कामना है।”

राजस्थान दिवस का उद्देश्य

राजस्थान दिवस मनाने का मुख्य उद्देश्य लोगों को राजस्थान की विरासत के बारे में जागरूक करना तथा इसके महत्व को बताना है साथ ही इसकी विरासत को बचाना है। जोधपुर, जयपुर, जैसलमेर और बीकानेर रियासतों का विलय 30 मार्च, 1949 को होकर ‘वृहत्तर राजस्थान संघ’ बना था। यही राजस्थान की स्थापना का दिन माना जाता है।
प्रथम शासक राजस्थान में वंश की स्थापना की थी
राजस्थान के पहले ऐतिहासिक चाहमान के राजा वासुदेव शासक था। बता दें कि यह क्षेत्र मत्स्य राज्य के नाम से जाना जाता है। वैसे पहला शासक चन्द्रगुप्त मौर्य थे। इन्होंने मौर्य वंश की स्थापना की थी. इनका साम्राज्य अफगानिस्तान एवं फारस की सीमा से लेकर पूरे भारत में था। वक्त-वक्त पर यहां चौहान, मेवाड़,गहलोत वंशों का राज रहा है। जयपुर, बुंदी, मेवाड़, मारवाड़, कोटा, भरतपुर और अलवर बड़ी रियासतें हुआ करती थीं। इन सभी रियासतों ने ब्रिटिश शासन की अधीनता स्वीकार कर ली थी। आजादी के बाद जब रियासतों का विलय होना शुरू हुआ तो बड़ी रियासतों जैसे जोधपुर, बिकानेर, जयपुर और जैसलमेर को मिलाकर ग्रेटर राजस्थान बना। साल 1958 में आधिकारिक तौर पर मौजूदा राजस्थान राज्य वुजूद में आया, उस वक्त अजमेर, आबू रोड तालुका एवं सुनल तप्पा रियासतों ने भी राजस्थान में विलय किया।

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बता दें कि राजस्थान में लोक नृत्यों के कई रूप है, जो आकर्षक, निपुण एवं मजेदार है। पूरे विश्व में राजस्थानी लोक नृत्य लोकप्रिय है। उदयपुर से घूमर नृत्य एवं जैसलमेर के कालबेलियानृत्य ने अंतरराष्ट्रीय प्रसिद्घि प्राप्त की है। चांग, तेरहताली, कठपुतली, घिन्द आदि पारंपरिक राजस्थानी संस्कृति के उदाहरण है। कठपुतली, घूमर, कालबेलिया नृत्य पर्यटकों को आकर्षित करते हैं।
इस दिन राजस्थान पर्यटन विभाग द्वारा कई अहम कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है। जयपुर में सबसे अच्छा कार्यक्रम आयोजित किया जाता है। जयपुर कोगुलाबी नगरी का शहर भी कहा जाता है। इस दिन राजस्थान का लोक नृत्य ‘घूमर’ का आयोजन किया जाता है।