Kedarnath:पीएम मोदी ने केदारनाथ में’आदिगुरु शंकराचार्य की प्रतिमा का किया लोकार्पण,

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार को केदारनाथ पहुंचे हैं। उन्होंने यहां गर्भगृह में बाबा केदारनाथ की पूजा-अर्चना व जलाभिषेक किया।

प्रधानमंत्री ने केदारनाथ में आदि शंकराचार्य की मूर्ति का लोकार्पण भी किया। इस दौरान उन्होंने केदारनाथ धाम में करीब 400 करोड़ रुपये की परियोजनाओं का शिलान्यास और लोकार्पण किया।

प्रधानमंत्री के दौरे के मद्देनजर यहां सुरक्षा के पुख्ता प्रबंध किए गए हैं। मंदिर को फूल-मालाओं से सजाया गया है। इसके लिए ऋषिकेश से 15 क्विंटल फूल मंगाए गए हैं।

करीब 15 मिनट तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केदारनाथ मंदिर के अंदर पूजा-अर्चना की। इसके बाद उन्होंने मंदिर की परिक्रमा की।

इसके बाद प्रधानमंत्री मोदी ने केदारनाथ धाम में बनी आदिगुरु शंकराचार्य की प्रतिमा का अनावरण किया। भगवान केदारनाथ के मंदिर के पास छह फीट नीचे खुदाई कर बनाए गए समाधि स्थल पर पीएम मोदी अकेले पहुंचे। शंकराचार्य की प्रतिमा को प्रणाम कर वे कुछ क्षण बैठे और आराधना की।

आदिगुरु शंकराचार्य की 12 फीट ऊंची मूर्ति कृष्णशिला पत्थर पर बनाई गई है। मैसूर के प्रसिद्ध मूर्तिकार योगीराज शिल्पी ने 120 टन के पत्थर पर शंकराचार्य की प्रतिमा को तराशा है। मूर्तिकार योगीराज ने कहा कि केदारनाथ में शंकराचार्य की मूर्ति बनाना मेरे लिए सौभाग्य की बात है।

मुझे बहुत खुशी है कि पीएम मोदी ने भारत के लोगों को प्रतिमा समर्पित की। इस मूर्ति को बनाने के लिए हमने नौ महीने तक प्रतिदिन 14-15 घंटे काम किया है।

2013 की आपदा में केदारनाथ में आदिगुरु शंकराचार्य का समाधि स्थल और उनकी मूर्ति मंदाकिनी नदी के सैलाब में तबाह हो गई थी। इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दिशा निर्देश में केदारनाथ धाम के पुनर्निर्माण कार्यों के तहत आदिगुरु शंकराचार्य की समाधि विशेष डिजाइन से तैयार की गई है।

“आदिगुरु शंकराचार्य की समाधि विशेष डिजाइन से तैयार की गई है। “

बताया गया कि प्रतिमा की चमक के लिए उसे नारियल पानी से पॉलिश किया गया है। कार्यदायी संस्था वुड स्टोन कंपनी के टीम प्रभारी मनोज सेमवाल ने बताया कि समाधि का निर्माण 36 मीटर गोलाकार में किया गया है जिसकी गहराई छह मीटर है।अब, समाधि तक प्रवेश व निकासी के लिए अलग-अलग 3 मीटर चौड़े व 40 मीटर लंबे दो रास्तों का निर्माण किया जाना है। पांच पीढ़ियों से मूर्तिकला की विरासत को संजोए हुए मैसूर के मूर्तिकार योगीराज शिल्पी ने अपने पुत्र अरुण के साथ मिलकर मूर्ति का काम पूरा किया है।

आदिगुरु शंकराचार्य की प्रतिमा निर्माण के लिए देश भर के मूर्तिकारों की ओर से अपना मॉडल पेश किया गया था। जिसके बाद प्रधानमंत्री कार्यालय से योगीराज शिल्पी को प्रतिमा तैयार करने के लिए अनुबंध किया गया था। इस विशेष परियोजना के लिए योगीराज ने कच्चे माल के रूप में लगभग 120 टन पत्थर की खरीद की और छेनी प्रक्रिया को पूरा करने के बाद इसका वजन लगभग 35 टन है। योगीराज ने साल 2020 के सितंबर माह से प्रतिमा बनाने का काम शुरू किया था। मूर्तिकला आदि शंकराचार्य को बैठने की स्थिति में प्रदर्शित करती है।

आदिगुरु शंकराचार्य के समाधिस्थल में सर्दियों के दौरान बर्फ को पिघलाने के लिए हिटिंग सिस्टम स्थापित किया गया है। इसके लिए समाधि के निचले व मध्य हिस्से में गीजर रॉड लगाई गई हैं। बर्फ से बने पानी की निकासी मंदाकिनी नदी में होगी। साथ ही समाधि के चारों तरफ लाइटिंग की गई और स्पीकर लगाए गए हैं।

केदारनाथ में सरस्वती व मंदाकिनी नदी के बीच में स्थापित आदिगुरु शंकराचार्य की समाधिस्थल में दोनों नदियों का जल बारामास प्रवाहित होता रहेगा। यह जल समाधि के सबसे निचले हिस्से में निर्मित तालाब में मिलेगा। इस तालाब में श्रद्धालुओं के जाने के लिए अभी कोई व्यवस्था नहीं है। बताया जा रहा है कि श्रद्धालु के लिए समाधि स्थल तक पहुंचने की अनुमति दी जाएगी।