पाकिस्तान अपने प्रोपगेंडा से बाज नहीं नहीं आ रहा है। इस्लामाबाद का भारतीय सेना को लेकर लगातार झूठा प्रचार जारी है। ताजा रिपोर्ट के मुताबिक़ लंदन स्थित एक कानूनी फर्म ने मंगलवार को ब्रिटिश पुलिस में एक आवेदन दायर कर भारत के सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को विवादित कश्मीर में युद्ध अपराधों में उनकी कथित भूमिका को लेकर गिरफ्तार करने की मांग की।
ब्रिटेन स्थित एक कानूनी लॉ फर्म स्टोक व्हाइट ने कहा कि उसने मेट्रोपॉलिटन पुलिस की युद्ध अपराध इकाई को व्यापक सबूत सौंपे हैं, जनरल मनोज मुकुंद नरवणे और गृह मंत्री अमित शाह के नेतृत्व वाली भारतीय सेनाएं कार्यकर्ताओं, पत्रकारों और नागरिकों की यातना, अपहरण और हत्या के लिए जिम्मेदार थीं।
लॉ फर्म की रिपोर्ट 2020 और 2021 के बीच लिए गए 2,000 से अधिक साक्ष्यों पर आधारित है और पुलिस को आवेदन लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े पाकिस्तानी जिया मुस्तफा द्वारा किया गया है। लश्कर-ए-तैयबा के आतंकी जिया मुस्तफा को फ्रीडम फाइटर बताते हुए जांच रिपोर्ट में आर्टिकल 370 को निरस्त करने की भी बात की गई है।
जिया मुस्तफा नदीमर्ग नरसंहार का मास्टरमाइंड रहा है। इस नरसंहार में 24 कश्मीरी पंडितों को मार डाला गया था। 2003 में जम्मू और कश्मीर पुलिस ने जिया को गिरफ्तार किया था जब वह लश्कर-ए-तैयबा का जिला कमांडर था।
खलील दीवान द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट में दावा किया गया है कि एक कश्मीरी को दो इजरायली खुफिया अधिकारियों द्वारा प्रताड़ित किया गया था। पीड़ित ने एसडब्ल्यूआई-यूनिट को बताया है कि पूछताछ करने वाले भारतीय मूल के नहीं थे। वे वाइट थे और वह अमेरिकी एक्सेंट में बात कर रहे थे। वे विदेशी मामलों पर मेरे विचार जानना चाहते थे और कश्मीर संघर्ष में उनकी कोई दिलचस्पी नहीं थी।
40 पेज के इस रिपोर्ट में टी-20 क्रिकेट वर्ल्ड कप में भारत पर पाकिस्तान की जीत का समर्थन करने के लिए कश्मीरी छात्रों की गिरफ्तारी का भी जिक्र किया गया है। भारत द्वारा इजरायली रक्षा बलों और अमेरिका से MQ-1 प्रीडेटर से चार हेरॉन ड्रोन के अधिग्रहण की बात की गई है। इसे लेकर कहा गया है कि जम्मू और कश्मीर में खुफिया, टोही और निगरानी मिशनों के लिए इसका इस्तेमाल किया जाएगा।