भारत-चीन सीमा पर नई सामरिक उड़ान, न्योमा एयरबेस हुआ चालू

2

भारत ने अपनी सामरिक शक्ति को नई ऊंचाई देने वाला ऐतिहासिक कदम उठाया है। बुधवार को चीन सीमा से कुछ ही किलोमीटर की दूरी पर स्थित न्योमा एयरबेस को औपचारिक रूप से चालू कर दिया गया। यह एयरबेस समुद्र तल से 13,700 फीट की ऊंचाई पर स्थित है, जिससे यह दुनिया के सबसे ऊंचे एयरफील्ड्स में शामिल हो गया है।

इस एयरबेस के शुरू होने से पूर्वी लद्दाख में भारतीय वायुसेना की ऑपरेशनल क्षमता कई गुना बढ़ जाएगी। अब यहां से लड़ाकू विमान, ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट और हेलिकॉप्टर सीधे सीमाई इलाकों तक उड़ान भर सकेंगे, जिससे सैनिकों, रसद और उपकरणों की आपूर्ति बेहद तेजी से हो सकेगी।

रक्षा विशेषज्ञों के मुताबिक, न्योमा एयरबेस के चालू होने से गलवान, दारबुक और दौलत बेग ओल्डी जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में भारत को अभूतपूर्व रणनीतिक बढ़त मिलेगी। यह एयरबेस न केवल सीमा पर किसी भी आपात स्थिति से निपटने में मदद करेगा, बल्कि चीन की किसी भी गतिविधि पर भारत को तुरंत प्रतिक्रिया देने की क्षमता भी प्रदान करेगा।

भारतीय वायुसेना अधिकारियों ने बताया कि इस एयरबेस को आधुनिक तकनीक और अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस किया गया है। इसमें लंबी रनवे, नाइट ऑपरेशन सिस्टम, उच्च क्षमता वाले हैंगर और अत्यधिक ठंड में विमान रखरखाव के लिए विशेष व्यवस्थाएं शामिल हैं। इसके निर्माण में सीमा सड़क संगठन (BRO) और स्थानीय इंजीनियरों ने अहम भूमिका निभाई।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने न्योमा एयरबेस को भारत की सुरक्षा नीति का नया अध्याय बताया और कहा कि इससे देश की सीमाएं और मजबूत होंगी। वहीं, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इसे “लद्दाख की सामरिक और आर्थिक जरूरतों के लिए मील का पत्थर” बताया।

सुरक्षा के साथ-साथ इस एयरबेस से क्षेत्र के आर्थिक और नागरिक विकास को भी गति मिलने की उम्मीद है। यह आपातकालीन चिकित्सा, आपदा राहत कार्यों और पर्यटन को भी नई दिशा देगा।