4 रुपए में पोस्टमार्टम, ये मजाक नहीं, 2060 करोड़ के हेल्थ बजट वाले उत्तराखंड के फार्मासिस्टों का दर्द है, जिसे उन्होंने स्वास्थ्य मंत्रालय संभाल रहे मुख्यमंत्री को बताया

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कोविड काल में भी एक पोस्टमार्टम के 4 रुपए, सुनकर आपको भले ही अजीब लगे, लेकिन उत्तराखंड में भाजपा सरकार के चार साल पूरे होने के बाद भी फार्मासिस्ट अपने कार्यों की इज्जतदार फीस और पदोन्नति की मांगों को लेकर सरकार से गुहार लगाते लगाते थक चुके हैं।
उत्तराखंड जहां प्राकृतिक आपदाओं की मार पूरे साल बनी रहती है, वहां काम करने वाले फार्मासिस्ट के हालात इतने लचर हैं कि उन्हें 3-35 साल तक जन सेवा करने के बाद भी पदोन्नती लाभ नहीं मिलपाता। ये आरोप किसी औऱ ने नहीं बल्कि रायपुर के विधायक उमेश शर्मा ने फार्मासिस्ट एसोसिएशन के साथ मिलकर लगाए हैं और इस बारे में मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत से मुलाकात कर उन्हें प्रदेश में फार्मासिस्ट की बिगड़ती आर्थिक और मानसिक स्थिती से अवगत करवाया है।
रायपुर विधायक उमेश शर्मा ने फार्मेसिस्ट संवर्ग के ढांचे का पुनर्गठन, सेवा नियमावली आदि मांगों को लेकर डिप्लोमा फार्मेसिस्ट एसोसिएशन के प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत से मुलाकात की। संगठन के प्रांतीय अध्यक्ष प्रताप सिंह पंवार ने उन्हें फार्मेसिस्ट संवर्ग की लंबित मांगों से अवगत कराया। कहा कि
” राज्य गठन के बाद से फार्मेसिस्ट संवर्ग के ढांचे का पुनर्गठन नहीं किया गया है। जिस कारण 30-35 वर्षों की सेवा के बाद भी फार्मेसिस्ट को पदोन्नति का लाभ नहीं मिल पा रहा है। वहीं फार्मेसिस्ट को पोस्टमार्टम भत्ता सिर्फ चार रुपये दिया जा रहा है। जबकि चिकित्साधिकारी व सफाई नायक का पोस्टमार्टम भत्ता पूर्व में बढ़ा दिया गया है। “

दो साल से फाइलों में दबे सुधार
अध्यक्ष प्रताप सिंह पंवार ने कहा कि चीफ फार्मेसिस्ट की प्रोन्नति से संबंधित फाइल अप्रैल 2020 से स्वास्थ्य महानिदेशालय व शासन में घूम रही है। लेकिन इस पर अभी तक निर्णय नहीं लिया जा सका है। कई चीफ फार्मेसिस्ट बिना पदोन्नति का लाभ ही सेवानिवृत्त हो गए हैं। इसके अलावा सेवा नियमावली के प्रख्यापन, प्रोन्नत वेतनमान और पुरानी पेंशन लागू करने की मांग भी उन्होंने की।
मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने दिया जल्द कार्यवाही का आश्वासन, एक माह में होंगे सुधार
फार्मेसिस्ट एसोसिएशन की मांगों का जल्द समाधान निकालने का भरोसा मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने स्वयं दिया है । एनएचएम संविदा कर्मियों की मांगों के समाधान के लिए एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया गया है। इस समीति में एनएचएम के अपर निदेशक, वित्त नियंत्रक, स्वास्थ्य विभाग, शासन के कार्मिक विभाग के एक-एक प्रतिनिधि और एनएचएम संविदा कर्मचारी संगठन के दो प्रतिनिधियों को शामिल किया गया है। फार्मासिस्ट संगठन ने प्रदेश अध्यक्ष सुनील भंडारी व हेमचंद्र बहुगुणा को भी इस समीति में अपनी बातें प्रस्तुत करने हेतु प्रतिनिधी के तौर पर शामिल किया गया है।
यह समिति एक माह के अंदर संविदा कर्मचारियों की वेतन विसंगति के साथ एचआर पालिसी तैयार करने व कर्मचारियों की अन्य समस्याओं का समाधान करने के लिए रिपोर्ट तैयार करेगी। जिसे एनएचएम(नेशनल हेल्थ मिशन) के निदेशक के माध्यम से मुख्य सचिव की अध्यक्षता वाली स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण समिति की गवर्निग बाडी को सौंपेगी।
स्वास्थ्य कर्मी संगठन ने कर्मचारियों की समस्याओं के समाधान के लिए समिति गठित करने के निर्णय का स्वागत किया है। संगठन के प्रदेश अध्यक्ष सुनील भंडारी ने कहा कि उम्मीद है कि मिशन निदेशक के नेतृत्व में संविदा कर्मियों की लंबित समस्याओं का त्वरित समाधान होगा।
बता दें कि गोल्डन कार्ड, सामूहिक बीमा, लायल्टी बोनस, कोरोनाकाल में हुई मौत पर स्वजन को आर्थिक सहायता और एक सदस्य को नौकरी समेत अन्य मांगों को लेकर प्रदेशभर के साढ़े चार हजार से अधिक एनएचएम संविदा कर्मी एक से सात जून तक होम आइसोलेशन में रहे थे। इससे पहले भी उन्होंने काली पट्टी बांधकर आधा दिन कार्य कर अपना रोष व्यक्त किया था। हालांकि प्रशासनिक बातचीत के बाद उन्होंने अपनी हड़ताल वापस ले ली थी।
क्या उत्तराखंड को मिलेगा स्वास्थ्य मंत्री ?
मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत इस पूरे मामले पर गंभीर नजर आते हैं, लेकिन सवाल ये भी है कि आखिर उत्तराखंड में स्वास्थ्य विभाग के लिए अलग चेहरा कब सामने आएगा। आपको बता दें कि हरक सिंह रावत ने भी कुछ समय पहले उत्तराखंड में स्वास्थ्यमंत्री की नियुक्ती के लिए गुहार लगाई थी, किन्तू अभी तक स्वास्थ्य मंत्रालय मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत के ही पास है।