जज लोया की मौत के मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले की कुछ टिप्पणियों पर आपत्ति जताते हुए दायर की गई याचिका पर न्यायालय ने बुधवार को दिए फैसले में कहा कि उनकी टिप्पणी किसी के प्रति व्यक्तिगत नहीं थी।
गौरतलब है कि सीबीआई जज बीएच लोया की मौत के मामले में दाखिल की गई पुनर्विचार याचिका में वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह ने सुप्रीम कोर्ट से तीखी टिप्पणियों को हटाने की मांग की थी। ऐसे में कोर्ट ने 19 अप्रैल के फैसले में की गई उन टिप्पणियों को लेकर कहा है कि यह किसी के प्रति व्यक्तिगत नहीं था।
उल्लेखनीय है कि शीर्ष अदालत ने जज लोया की साल 2014 में हुई मौत की एसआईटी जांच की मांग को लेकर दायर याचिका को खारिज करते हुए कुछ सख्त टिप्पणियां की थी। जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर की गई थी। याचिका में कोर्ट से 19 अप्रैल के आदेश में की गई उन सख्त टिप्पणियों को हटाने की मांग भी की गई थी, जिसमें कोर्ट ने याचिकाकर्ता की मंशा पर सवाल उठाते हुए इसे न्यायपालिका की आजादी और संस्थानों की गरिमा पर हमला बताया था।
बता दें कि जज बीएच लोया सोहराबुद्दीन शेख और तुलसी प्रजापति एनकाउंटर मामले की जांच कर रहे सीबीआई अदालत के न्यायाधीश थें, जिनकी 2014 में अचानक मौत पर उनके घरवालों ने सवाल खड़े किए थें।
19 अप्रैल के अपने फैसले में जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस ए एम खानविलकर, जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की बेंच ने याचिका खारिज करते हुए कहा था कि रिकॉर्ड पर रखे गए सबूत तस्दीक करते हैं कि जज लोया की मौत नेचुरल थी।