ना बेंच, ना पढ़ने के पर्याप्त साधान, फिर भी देखिए कैसे खुद को बेहतर बना रहे ये बच्चे

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किसी ने सही ही कहा है ‘जब पढ़ने और कुछ कर गुजरने की इच्छा हो तो हर मंजिल पाई जा सकती है’ और इसी का जीता-जागता उदाहरण है ये स्कूल और इसमें पढ़ने वाले बच्चे। जहां बैठने के लिए ना बेंच है और ना पढ़ने के लिए पर्याप्त साधान, पर फिर भी बच्चे यहां आते हैं और हर रोज कुछ ना कुछ नया सिखकर अपने जीवन को बेहतर बनाने के सपने सजाते हैं।

इस स्कूल में करीब 200 बच्चे पढ़ने आते हैं और रोज कुछ नया सिखकर खुद को बेहतर और अपने सपनों को पंख लगाते हैं। इस स्कूल में ना बैठने के लिए ना बेंच है और ना पढ़ने के लिए पर्याप्त साधान, पर फिर भी बच्चे यहां आते हैं और हर रोज कुछ ना कुछ नया सिखकर अपने जीवन को बेहतर बनाने के सपने सजाते हैं। इस स्कूल की शुरूआत दो बच्चों के साथ की गई थी जो कि अब बढ़कर 200 हो गए हैं।