पिछले साढ़े छह महीने से तीनों केंद्रीय कृषि कानूनों की वापसी की मांग को लेकर सिंघु बॉर्डर पर चल रहे किसानों के आंदोलन में शनिवार को नया ट्विस्ट आ गया। दिल्ली पुलिस का आरोप है कि सिंघु बॉर्डर पर दिल्ली पुलिस की स्पेशल ब्रांच के दो असिस्टेंट सब-इंस्पेक्टर्स के साथ मारपीट हुई है। इस पर किसान नेता राकेश टिकैत ने त्वरित प्रतिक्रिया में कहा कि पुलिसकर्मी सिविल ड्रेस में रहे होंगे, इसलिए ऐसा हुआ। आरोपों के मुताबिक, दिल्ली पुलिस के दो असिस्टेंट सब-इंस्पेक्टर्स जब सिंघु बॉर्डर पर तस्वीरें खींच रहे थे, तभी कथित रूप से कुछ आंदोलनकारी किसानों ने पुलिसकर्मियों की पिटाई कर दी। पिटाई का यह तथाकथित पूरा मामला 10 जून का बताया जा रहा है। कहा जा रहा है कि सिंघु बॉर्डर पर दोनों पुलिसकर्मी फोटो खींच रहे थे। आरोप है कि आपत्ति के बाद कुछ किसानों ने दोनों पर हमला बोलते हुए पीट दिया। इस बाबत पीड़ितों की ओर से नरेला पुलिस थाने में एफआईआर दर्ज करा दी गई है। उधर, मामला मीडिया में सामने आया तो भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता ने इस पूरे मामले पर अजब बयान दे डाला। उन्होंने कहा कि वे (पुलिसकर्मी) सिविल ड्रेस में होंगे, उनको लगा होगा कि चैनल के लोग हैं और हमें गलत तरह से दिखाते हैं। हमारे लोग हिंसा नहीं करते। इस बयान से यह भी साफ हो रहा है कि किसान प्रदर्शनकारियों ने मीडियाकर्मी समझकर पुलिसवालों पर हमला किया। ऐसे में सवाल यह भी उठता है कि क्या सिंघु बॉर्डर पर मीडियाकर्मी निशाने पर थे।
उधर, भाकियू नेता राकेश टिकैत ने कहा कि पुलिस और सरकार तो चाहती है कि हम किसानों के साथ पंगेबाजी करें। वहीं, दर्ज मामले के अनुसार, दिल्ली पुलिस की स्पेशल ब्रांच के दो असिस्टेंट सब-इंस्पेक्टर्स ने 10 जून को सिंघु बॉर्डर पर प्रदर्शन स्थल की तस्वीरें खींची। इसके बाद प्रदर्शन कर रहे किसानों के एक समूह ने उन पर कथित रूप से हमला किया।
उधर, किसान आंदोलन के 7 महीने पूरे होने पर 26 जून को देशभर में राजभवनों पर धरना देने का प्लान बनाया है। संयुक्त किसान मोर्चा शुक्रवार को कहा कि वे 26 जून को प्रदर्शन के दौरान काले झंडे दिखाएंगे और राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को ज्ञापन भेजेंगे। एसकेएम के किसान नेता इंद्रजीत सिंह ने कहा कि इस दिन को ‘खेती बचाओ, लोकतंत्र बचाओ दिवस’ के रूप में मनाया जाएगा।