भारत में कोरोना वायरस संकट से निपटने के लिये जारी संघर्ष के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ शनिवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से चर्चा की। प्रधानमंत्री इस दौरान मुख्यमंत्रियों से उनकी राय ले रहे हैं कि कोविड-19 के कारण लागू 21 दिन के देशव्यापी लॉकडाउन को 14 अप्रैल से आगे बढ़ाया जाए या नहीं।
समझा जाता है कि केंद्र सरकार ने इस महामारी को फैलने से रोकने के प्रयासों में शामिल सभी पक्षकारों और संबंधित एजेंसियों के विचार प्राप्त कर लिये हैं । प्रधानमंत्री के साथ राज्यों के मुख्यमंत्रियों की बैठक सुबह 11 बजे शुरू हुई। ऐसे संकेत मिल रहे हैं कि केंद्र सरकार कुछ छूट के साथ देशव्यापी लॉकडाउन को बढ़ा सकती है।
पंजाब और ओडिशा 14 अप्रैल के बाद लॉकडाउन को आगे बढ़ाने का पहले ही फैसला कर चुका है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने राज्यों से विभिन्न पहलुओं को लेकर विचार मांगे हैं जिसमें यह पूछा गया है कि क्या कुछ अन्य श्रेणियों के लोगों और सेवाओं को छूट दिये जाने की जरूरत है। वर्तमान लॉकडाउन में केवल आवश्यक सेवाओं को छूट दी गई है ।
लॉकडाउन लागू होने के बाद यह दूसरा अवसर है जब प्रधानमंत्री इस विषय पर मुख्यमंत्रियों से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये संवाद करेंगे। इससे पहले दो अप्रैल को मुख्यमंत्रियों के साथ संवाद के दौरान मोदी ने उनसे लॉकडाउन से ‘क्रमवार’ तरीके से बाहर आने बारे में सुझाव मांगा था।
विभिन्न राज्यों की रिपोर्ट के आधार पर पीटीआई के आंकड़ों के अनुसार, शुक्रवार रात 9.30 बजे तक देशभर में 7,510 लोगों में कोरोना वायरस संक्रमण की पुष्टि हुई है जबकि इसके कारण 251 लोगों की मौत हो चुकी है और 700 लोगों को उपचार के बाद छुट्टी दे दी गई है। स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, कोरोना वायरस संक्रमण के 7,447 मामले सामने आए हैं
और इसके कारण 239 लोगों की मौत हो चुकी है । मोदी ने बुधवार को लोकसभा एवं राज्यसभा में विपक्ष समेत विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं से कहा था कि कोरोना वायरस के कारण लागू देशव्यापी लॉकडाउन एक बार में नहीं हटाया जायेगा। उन्होंने इस बात पर जोर दिया था कि हर व्यक्ति के जीवन को बचाना उनकी सरकार की प्राथमिकता है ।
अधिकारिक बयान के अनुसार, प्रधानमंत्री ने कहा था कि कई राज्य, जिला प्रशासन और विशेषज्ञों ने वायरस को फैलने से रोकने के लिये लॉकडाउन को बढ़ाने का सुझाव दिया है। उन्होंने कहा था कि देश में स्थिति ‘सामाजिक आपातकाल’ जैसी है और कड़े निर्णय लेने की जरूरत है ।