
जापान ने अपनी सैन्य क्षमताओं को मजबूत करने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए पहली बार अपने क्षेत्र में मिसाइल परीक्षण किया है। मंगलवार को जापान की ग्राउंड सेल्फ डिफेंस फोर्स (GSDF) ने होक्काइडो प्रांत के शिज़ुनाई एंटी-एयर फायरिंग रेंज में टाइप-88 सतह से जहाज पर मार करने वाली मिसाइल (Surface-to-Ship Missile) का सफलतापूर्वक परीक्षण किया।
इस परीक्षण में पहली आर्टिलरी ब्रिगेड के करीब 300 सैनिकों ने हिस्सा लिया। उन्होंने दक्षिणी होक्काइडो के तट से लगभग 40 किलोमीटर दूर एक मानवरहित नाव को लक्ष्य बनाकर मिसाइल दागी। रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों के मुताबिक, मिसाइल परीक्षण के परिणामों की जांच अभी जारी है।
यह परीक्षण जापान की उस व्यापक रणनीति का हिस्सा है, जिसके तहत वह क्षेत्र में चीन की बढ़ती सैन्य आक्रामकता का जवाब देने के लिए अपनी स्ट्राइक-बैक क्षमता (प्रतिआक्रमण करने की क्षमता) को विकसित कर रहा है।
सूत्रों की मानें तो जापान इस वर्ष के अंत तक अमेरिकी टॉमहॉक मिसाइलों समेत लंबी दूरी की क्रूज मिसाइलों की तैनाती की भी योजना बना रहा है। यह कदम जापान की पारंपरिक रक्षा नीति में एक बड़ा बदलाव दर्शाता है, जिसमें अब वह संभावित खतरों के खिलाफ पहले से अधिक तैयारी में जुटा है।
गौरतलब है कि अब तक जापान अपने मिसाइल परीक्षण अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया जैसे रक्षा साझेदार देशों की भूमि पर करता आया है। लेकिन घरेलू धरती पर यह पहला मिसाइल अभ्यास है, जो देश की सुरक्षा नीति में आए बदलाव और आत्मनिर्भरता की दिशा में एक निर्णायक संकेत है।
रक्षा विश्लेषकों का मानना है कि यह परीक्षण पूर्वी एशिया में बदलते भू-राजनीतिक समीकरणों को देखते हुए अत्यंत महत्वपूर्ण है। चीन के साथ समुद्री क्षेत्र को लेकर तनाव और उत्तर कोरिया की मिसाइल गतिविधियों को ध्यान में रखते हुए जापान अब रक्षात्मक रणनीति से आगे बढ़कर सक्रिय सैन्य तैयारी की ओर कदम बढ़ा रहा है।
जापान का यह परीक्षण न सिर्फ देश की रक्षा क्षमताओं में नई दिशा का संकेत देता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि वह अब एशिया-प्रशांत क्षेत्र में संतुलन बनाने के लिए पहले से ज्यादा गंभीर और सशक्त भूमिका निभाने को तैयार है।