
भारतीय सेना की वायु रक्षा क्षमता में जल्द ही एक बड़ा इजाफा होने वाला है। रक्षा मंत्रालय स्वदेशी रूप से विकसित क्विक रिएक्शन सरफेस टू एयर मिसाइल (QRSAM) सिस्टम की तीन रेजिमेंटों की खरीद पर विचार कर रहा है। इस प्रस्तावित डील की अनुमानित लागत 30,000 करोड़ रुपये है।
इस फैसले से सेना को अत्याधुनिक हवाई सुरक्षा कवच मिलेगा, जो दुश्मन के लड़ाकू विमानों, हेलीकॉप्टरों, ड्रोन और क्रूज मिसाइलों को 25 से 30 किलोमीटर की दूरी पर ही नष्ट कर सकेगा। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता वाली रक्षा अधिग्रहण परिषद (DAC) इस महीने के अंत तक इस डील के लिए आवश्यकता की स्वीकृति (AON) प्रदान कर सकती है।
ऑपरेशन सिंदूर के बाद मजबूत कदम
QRSAM की यह पहल ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान की ओर से तुर्की और चीन मूल के ड्रोन व मिसाइल हमलों को सफलतापूर्वक नाकाम करने के बाद की जा रही है। इसमें सेना की वायु रक्षा शाखा (AAD) ने बेहतरीन प्रदर्शन किया था।
QRSAM सिस्टम को DRDO और भारतीय सेना ने मिलकर विकसित किया है। यह मिसाइल प्रणाली पूरी तरह से स्वचालित है और एक साथ कई लक्ष्यों को ट्रैक और एंगेज कर सकती है। इसका तेज निर्णय लेने वाला सिस्टम युद्ध के मैदान में दुश्मन को चौंकाने में सक्षम है।
एक अधिकारी ने बताया, QRSAM को इस तरह डिजाइन किया गया है कि यह टैंकों और पैदल सेना के लड़ाकू वाहनों के साथ चलते हुए रीयल-टाइम एयर डिफेंस प्रदान कर सके।
इस प्रणाली को ट्रक, बंकर या मोबाइल यूनिट जैसे किसी भी प्लेटफॉर्म से लांच किया जा सकता है। यह सेना की गतिशीलता और लचीलापन दोनों को बढ़ाता है।
11 रेजिमेंटों की जरूरत, आकाश सिस्टम के साथ तालमेल
सेना की योजना QR-SAM की 11 रेजिमेंटों की तैनाती की है। इसके साथ ही वह धीरे-धीरे स्वदेशी ‘आकाश मिसाइल सिस्टम’ की तैनाती भी बढ़ा रही है। QR-SAM के आने से भारत का बहुस्तरीय वायु रक्षा नेटवर्क और भी सुदृढ़ हो जाएगा।
इसके अलावा DRDO 6 किलोमीटर रेंज वाली Very Short Range Air Defence System (VSHORADS) भी विकसित कर रहा है, जो नजदीकी हवाई खतरों को रोकने में कारगर साबित होगी।
QRSAM जैसे स्वदेशी डिफेंस सिस्टम भारत की आत्मनिर्भरता और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिहाज से एक बड़ा कदम है। इससे सेना को न केवल त्वरित प्रतिक्रिया की क्षमता मिलेगी, बल्कि दुश्मनों को भी दो बार सोचने पर मजबूर कर देगा।