भारत-अमेरिका के बीच बढ़ते रक्षा व्यापार ने द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत किया : विशेषज्

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भारत और अमेरिका के बीच रक्षा क्षेत्र में बढ़ते व्यापार से दोनों देशों के संबंध मजबूत हुए हैं। अमेरिका के एक शीर्ष विशेषज्ञ ने यह बात कहते हुए इस ओर भी ध्यान दिलाया है कि इस क्षेत्र की तमाम संभावनाओं को हासिल करने के लिए अभी सहयोग के लिए बहुत कुछ किया जाना शेष है। अक्टूबर में पेंटागन ने कहा था कि दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार सौदा वर्ष के अंत तक 18 अरब डॉलर तक पहुंचने की संभावना है। नयी दिल्ली में नौंवे भारत-अमेरिका रक्षा प्रौद्योगिकी एवं व्यापार पहल या डीटीटीआई समूह की बैठक से पहले अधिग्रहण एवं स्थायित्व के लिए अवर रक्षा मंत्री एलन एम लॉर्ड ने कहा,

“द्विपक्षीय रक्षा व्यापार जो 2008 में शून्य था, उसके इस साल के अंत तक 18 अरब डॉलर तक पहुंचने की संभावना है।” टाटा चेयर फॉर स्ट्रैटजिक अफेयर्स के प्रमुख एशले जे टेलिस ने कहा, “भारत-अमेरिका के बीच बढ़ते रक्षा व्यापार ने दोनों देशों के बीच संबंधों को भी मजबूत किया है। भारत कभी रक्षा खरीद के लिए पूरी तरह रूस पर निर्भर हुआ करता था लेकिन हाल के वर्षों में इसने अमेरिकी आपूर्तिकर्ताओं से उच्च तकनीक वाले रक्षा उत्पाद खरीदने शुरू किए हैं।” ‘फॉरन अफेयर्स’ पत्रिका में एक स्तंभ में टेलिस ने लिखा कि भले ही भारत रूस से पूरी तरह

रक्षा संबंध तोड़ने की ट्रंप की मांग नहीं मान सकता लेकिन वह अमेरिकी हथियारों के लिए महत्त्वपूर्ण बाजार बनने में कामयाब रहा है। उन्होंने कहा, “वर्तमान में, भारत अमेरिका की पनडुब्बी रोधी और टैंक रोधी युद्धक हेलीकॉप्टर, सतह से हवा में मार करने वाली उन्नत मिसाइलें, नौसैन्य बंदूकें, मानव रहित हवाई वाहन और लंबी दूरी तक गश्त करने वाले समुद्री विमान खरीदने की उम्मीद कर रहा है। इनमें से कुछ के लिए समझौतों की घोषणा ट्रंप के अगले हफ्ते के दौरे के वक्त हो सकती है।” टेलिस ने कहा, “हाल के वर्षों की तमाम प्रगति के बावजूद अमेरिकी-भारत रक्षा सहयोग के पूर्ण सामर्थ्य तक पहुंचने के लिए अभी बहुत कुछ किया जाना है।