होलिका दहन 13 मार्च को, शुभ मुहूर्त और पवित्र मान्यताओं पर आधारित विशेष तथ्य

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इस साल होलिका दहन 13 मार्च को मनाया जाएगा। फाल्गुन माह की पूर्णिमा तिथि को होने वाला यह पर्व भद्राकाल के दिन पड़ने से धार्मिक आस्था में और भी महत्त्व रखता है। पूजा अर्चना के पश्चात अग्नि प्रज्वलित कर होलिका दहन के लिए शुभ मुहूर्त निर्धारित किया गया है। रिपोर्ट के अनुसार, इस वर्ष होलिका दहन की शुभ मुहूर्त रात 11 बजकर 26 मिनट पर शुरू होकर मध्यरात्रि 12 बजकर 48 मिनट पर समाप्त होगी।

होलिका दहन और छोटी होली का महत्त्व

होलिका दहन को छोटी होली के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन लोग होलिका दहन के बाद एक-दूसरे पर रंग-गुलाल लगाकर उल्लास के साथ होली मनाते हैं। पूजा के दौरान होलिका दहन से पहले विशेष ध्यान रखते हुए अग्नि में सामग्री का चयन किया जाता है ताकि सभी धार्मिक मान्यताओं का पालन सुनिश्चित किया जा सके।

होलिका की अग्नि में क्या डालना चाहिए और क्या नहीं

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, होलिका दहन की अग्नि पवित्र मानी जाती है। इसमें कुछ चीजें डालने से बचना चाहिए, क्योंकि कहा जाता है कि ऐसा करने से नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।

न डालने योग्य वस्तुएँ

  • गंदे कपड़े, टायर जैसी चीजें, जिससे मंगल ग्रह का दुष्प्रभाव हो सकता है।
  • पानी वाला नारियल, क्योंकि सूखे नारियल को ही होलिका दहन में चढ़ाया जाता है; पानी वाला नारियल चढ़ाने से कुंडली में चंद्रमा की स्थिति प्रभावित हो सकती है।
  • टूटे-फूटे लकड़ी के सामान जैसे पलंग, सोफा, अलमारी आदि, जिससे शनि, राहु और केतु का अशुभ प्रभाव हो सकता है।
  • गुजिया की संख्या तीन में होने पर भी सावधानी बरतने की सलाह दी जाती है।
  • सूखी गेहूं की बालियां और सूखे फूल, जो शुभ फलों की प्राप्ति में बाधा डाल सकते हैं।

 

डालने योग्य वस्तुएँ

  • सूखा नारियल, जो होलिका दहन की अग्नि में चढ़ाया जाना चाहिए।
  • अक्षत, ताजे फूल, साबुत मूंग की दाल, हल्दी के टुकड़े, और गाय के सूखे गोबर से बनी माला।
  • चांदी या तांबे के कलश में जल और गुलाल भी अर्पित किया जाना चाहिए।

यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। इंडिया टीवी एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।