(किसान आंदोलन और 5जी अफवाहों के चलते यहां नहीं होगी 5जी टेस्टिंग)
21वीं सदी इंटरनेट, प्रोद्योगिकी और रफ्तार के सौदगरों का समय है, रफ्तार भी घोड़े, या कार जैसी नहीं, रॉकेट जैसी होनी चाहिए। और अब कोरोना काल के बाद तो बात भले ही पढ़ाई-लिखाई की हो, स्कूल-कॉलेज की या फिर व्यापार, उद्योगों की, ये कितना काम कर पाएंगे, कैसे रिजल्ट ला पाएंगे, इसकी गणना सीधे सीधे इंटरनेट की रफ्तार पर ही निर्भर है, क्योंकि 2020 में जो वर्क फ्रॉम होम शुरु हुआ था, वही अब दुनिया की रीत बन चुका है।
भारत के दूरसंचार मंत्रालय की ओर से 28 मई को 5जी स्पेक्ट्रम की टेस्टिंग के लिए आवंटन किया गया, ये दिन दशकों से विकास के अग्रणी होने का दंभ भरने वाले हरियाणा और पंजाब की नाक काटने वाला दिन ही साबित हुआ। एयरटेल, वोडाफोन, जीयो समेत तमाम कंपनियों ने पहले ही स्पष्ट कर दिया कि उनकी हरियाणा और पंजाब में 5जी की टेस्टिंग करने की कहीं कोई इच्छा नहीं है। वो रॉकेट सी रफ्तार वाले 5जी का परीक्षण यहां नहीं करेंगे
पंजाब और हरियाणा में पिछले साल 2020 के अंत से लेकर 2021 मध्य तक लगातार अफवाहों के ऐसे दौर चले हैं, जिन्होंने दूरसंचार कंपनियों की दशकों की मेहनत को तबाह करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी है और प्रदेश प्रशासन की ओर से भी जब तक बीच बचाव शुरु हुआ, तब तक काफी नुकसान कंपनियों को हो चुका था।
सोचिए जिन राज्यों में 5जी के लॉन्च हुए बिना ही फर्जीवाड़े वालों ने गांव-गांव में कोरोना जैसी महामारी को रेडिएशन की वजह से फैला हुआ बता दिया हो, उन राज्यों में अगर वाकई टेस्टिंग शुरु हो गई, तो अफवाहों वाले षड़यंत्रकारी क्या हाल करेंगे। यही वजह है कि 5जी स्पेक्ट्रम आवंटित होने के साथ ही कंपनियों की टेस्टिंग की लिस्ट में ना तो हरियाणा का नाम है, ना ही पंजाब का। कौन कंपनी चाहेगी की उसके खरबों की मशीनें कुछ हुड़दंगकारी इसलिए जला दें कि किसी ने अफवाह फैला दी थी ।
कहावत है कि दूध का जला छाछ भी फूंक फूंककर पीता है, यही हाल है किसान आंदोलन में हाथ जलवा चुकीं मोबाइल कंपनियों का, वो प्रदेश सरकारों के भरोसे के बावजूद हरियाणा-पंजाब में 5जी टेस्टिंग को टाल रही हैं
हरियाणा और पंजाब में कांग्रेस अध्यक्षा श्रीमति सोनिया गांधी के सुपुत्र राहुल गांधी (सांसद, वायनाड, केरल) ने 2020 के मध्य में कृषि बिल पर रैलियां कर, जो किसान आंदोलन की ज्योति जगाई थी, वो दावानल बनकर पूरे पंजाब और हरियाणा के व्यापारों को निगलती जा रही है, असर राजस्थान में भी है और इस आंदोलन में लाल किले पर कब्जे की कोशिश से लेकर हर वो काम हुआ, जो देश और समाज को शर्मसार कर देने वाला है। इस आंदोलन में निजी कंपनियों के बायकॉट की जो लहर चली, उसी का नतीजा है कि अब निजी कंपनी वाले अपने किसी भी निवेश के लिए पंजाब और हरियाणा से दूरी बना रहे हैं, 5जी स्पेक्ट्रम की टेस्टिंग इन राज्यों में ना होना भी इसी आंदोलन की देन मानी जा रही है।
जाहिर है कि राजनीति चमकाने वालों के आंदोलन का असर अब खासतौर पर पंजाब और हरियाणा के मध्यम वर्गिय पर पड़ने वाला है, जो आईटी कंपनियों के लिए वर्क फ्रॉम होम करने में जुटे हैं। 5जी की रफ्तार उनकी कार्यक्षमता को बढ़ा सकती थी, लेकिन किसान आंदोलन में हुए हिंसक कांड और 5जी से जुड़ी अफवाहों के बाद अब तेज इंटरनेट इन राज्यों की जनता के लिए अब दूर की कौड़ी साबित होगी।
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