
अंतरराष्ट्रीय बाजार में जहां कच्चे तेल के दाम गिरकर 65 डॉलर प्रति बैरल हो गए हैं, वहीं भारत में आम जनता को महंगाई से राहत नहीं मिल रही है। केंद्र सरकार ने 7 अप्रैल को पेट्रोल और डीजल पर 2 रुपये प्रति लीटर एक्साइज ड्यूटी बढ़ाने का ऐलान किया। इसके साथ ही घरेलू रसोई गैस (LPG) सिलेंडर के दाम में भी 50 रुपये की बढ़ोतरी कर दी गई है।
अब दिल्ली समेत कई महानगरों में एक सिलेंडर की कीमत 1,150 रुपये तक पहुंच गई है, जबकि पेट्रोल और डीजल की कीमतों में भी इजाफा देखने को मिलेगा।
एक बार फिर आम जनता की जेब पर महंगाई की मार पड़ी है। सरकार ने घरेलू एलपीजी गैस सिलेंडर के दाम में 50 रुपये की बढ़ोतरी कर दी है, वहीं पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क (excise duty) में 2 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी की गई है। यह फैसला ऐसे समय में आया है जब पहले से ही महंगाई दर आम लोगों को परेशान कर रही है।
अब देश की राजधानी दिल्ली में 14.2 किलोग्राम का घरेलू गैस सिलेंडर 1,150 रुपये में मिलेगा, जो पहले 1,100 रुपये में मिलता था। उधर, पेट्रोल की कीमत 102 रुपये प्रति लीटर और डीजल की कीमत 94 रुपये प्रति लीटर तक पहुंच गई है।
सरकार की सफाई
सरकार का कहना है कि यह फैसला राजस्व संतुलन और इंफ्रास्ट्रक्चर फंडिंग के लिए जरूरी था। वित्त मंत्रालय के अनुसार, तेल पर एक्साइज ड्यूटी बढ़ाने से सरकार को सालाना हजारों करोड़ का अतिरिक्त राजस्व मिलेगा, जिससे आर्थिक योजनाएं चलाई जा सकेंगी।
वित्त मंत्रालय का कहना है कि यह बढ़ोतरी अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में तेजी और सब्सिडी बोझ को संतुलित करने के उद्देश्य से की गई है। सरकार के अनुसार, ये कदम “देश की आर्थिक मजबूती और विकास योजनाओं के लिए जरूरी” हैं।
हालांकि, आलोचकों का कहना है कि जब वैश्विक बाजार में तेल की कीमतें गिर रही हैं, तो यह बढ़ोतरी तर्कसंगत नहीं है।
तेल सस्ता, फिर भी जेब ढीली – जनता में आक्रोश
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट के बावजूद भारत में तेल उत्पादों के दाम बढ़ना आम जनता के गले नहीं उतर रहा। सोशल मीडिया पर #महंगाई_की_मार ट्रेंड कर रहा है, और लोग सरकार से सवाल कर रहे हैं – “जब तेल सस्ता हो रहा है, तो जनता को राहत क्यों नहीं मिल रही?”
मुंबई की एक महिला उपभोक्ता ने नाराज़गी जताते हुए कहा, “हमारे देश में तो लगता है कीमतें बस बढ़ने के लिए ही होती हैं। अंतरराष्ट्रीय बाजार की गिरावट का हमें कोई फायदा नहीं मिलता।”
इस फैसले से आम लोगों में नाराजगी देखी जा रही है। कई लोगों ने सोशल मीडिया पर अपनी भड़ास निकाली, वहीं छोटे दुकानदार और निम्न मध्यमवर्गीय परिवारों ने इसे “न्याय से परे” और “जीवन यापन को और कठिन बनाने वाला” बताया।
दिल्ली की एक गृहिणी ने कहा, “हर महीने बजट बनाना मुश्किल हो गया है। LPG सिलेंडर महंगा, दूध-दाल सब महंगे, अब और कितना झेलें?”
विशेषज्ञों की चेतावनी
आर्थिक जानकारों का मानना है कि इस फैसले का असर सीधे-सीधे महंगाई पर पड़ेगा। परिवहन खर्च बढ़ने से सब्जियों, दूध, दाल और बाकी जरूरी सामानों की कीमतों में उछाल आ सकता है। खुदरा महंगाई दर पहले ही ऊंचाई पर है और यह नया झटका इसे और बढ़ा सकता है।
आखिर कब तक आम आदमी इस बोझ को झेलेगा? क्या जनता को कभी राहत मिलेगी?
दुनिया में तेल सस्ता हो रहा है, लेकिन भारत में महंगाई का ग्राफ नीचे आने का नाम नहीं ले रहा। आम लोगों के मन में अब यही सवाल है – “कब मिलेगी इस महंगाई से राहत?”
यह सवाल अब हर घर की जुबान पर है। सरकार से उम्मीद की जा रही है कि वह जल्द राहत उपायों पर विचार करे, ताकि आम आदमी को कुछ राहत मिल सके।