बांग्लादेश में पूर्व शिक्षा मंत्री के घर में आग, राजनीतिक प्रतिशोध ने बढ़ाई चिंता

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पड़ोसी देश बांग्लादेश में जारी राजनीतिक अस्थिरता अब खुले अराजक दौर में प्रवेश करती नजर आ रही है। ताजा घटनाक्रम में उग्र भीड़ ने पूर्व सरकार के एक दिग्गज नेता, पूर्व शिक्षा मंत्री के आवास को निशाना बनाते हुए उसमें आग लगा दी। घटना के समय घर में मौजूद लोगों ने किसी तरह भागकर अपनी जान बचाई, लेकिन आवास और उसमें मौजूद करोड़ों की संपत्ति जलकर पूरी तरह राख हो गई। इस घटना ने देश की बिगड़ती कानून-व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

बताया जा रहा है कि शेख हसीना सरकार के पतन के बाद से ही देश के विभिन्न हिस्सों में बदले और प्रतिशोध की राजनीति तेज होती जा रही है। पूर्व शिक्षा मंत्री के घर पर हुआ हमला उसी कड़ी का हिस्सा माना जा रहा है, जिसमें अवामी लीग से जुड़े नेताओं और उनके करीबी लोगों को चुन-चुनकर निशाना बनाया जा रहा है। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, सैकड़ों की संख्या में पहुंचे प्रदर्शनकारियों ने पहले घर में जमकर तोड़फोड़ की और उसके बाद ज्वलनशील पदार्थ छिड़ककर आग लगा दी। मौके पर सुरक्षा बलों की मौजूदगी न होने से हालात और ज्यादा बेकाबू हो गए।

देश में प्रशासनिक तंत्र की कमजोरी भी इस अराजकता को हवा दे रही है। कई इलाकों में पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों की पकड़ ढीली पड़ती दिखाई दे रही है, जिससे उपद्रवी तत्व बेखौफ होकर हिंसा को अंजाम दे रहे हैं। आगजनी की घटनाओं के साथ-साथ लूटपाट की खबरें भी सामने आ रही हैं, जिसने आम नागरिकों के मन में डर और असुरक्षा की भावना को गहरा कर दिया है। लोग अपने घरों और परिवार की सुरक्षा को लेकर चिंतित नजर आ रहे हैं।

विशेषज्ञों का मानना है कि पूर्व शिक्षा मंत्री के घर पर हुआ हमला केवल एक राजनीतिक घटना नहीं है, बल्कि यह बांग्लादेश की चरमराती सामाजिक और प्रशासनिक व्यवस्था का प्रतीक भी है। यदि जल्द ही हालात पर काबू नहीं पाया गया, तो देश में नागरिक शासन की बहाली और स्थिरता की राह और अधिक कठिन हो सकती है। प्रदर्शनकारी जहां इसे पिछली सरकार के कथित भ्रष्टाचार और ‘तानाशाही’ के खिलाफ गुस्से की अभिव्यक्ति बता रहे हैं, वहीं हिंसक तरीके देश को गंभीर संकट की ओर धकेलते नजर आ रहे हैं।

बांग्लादेश में बढ़ती हिंसा पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने भी चिंता जताई है। मानवाधिकार संगठनों के साथ-साथ पड़ोसी देशों की नजर भी हालात पर बनी हुई है। अल्पसंख्यक समुदायों और राजनीतिक विरोधियों की सुरक्षा को लेकर सवाल उठ रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र ने भी शांति बनाए रखने और हिंसा को तत्काल रोकने की अपील करते हुए सभी पक्षों से संयम बरतने का आह्वान किया है।